जयपुर:-गुलाब चंद कटारिया ने आज राजस्थान विधानसभा सदस्य की सदस्यता से इस्तीफा दिया है. गुलाबचंद कटारिया का राजस्थान विधानसभा में विदाई समारोह आयोजित हुआ. असम का राज्यपाल बनने पर गुलाबचंद कटारिया को राजस्थान विधानसभा से विदाई दी गई. इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत विधानसभा के सभी सदस्य मौजूद रहे.
इस मौके पर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि कटारिया जी और मैंने एक ही महाविद्यालय से पढ़ाई की. आज कटारिया जी के राज्यपाल बनने पर बहुत ही खुशी हैं. मुझे विधायक बनने का 1980 में मौका मिला और कटारिया जी को 1977 में मौका मिला. आप आज इस मुकाम पर पहुंचे हो इसमें आपकी कड़ी मेहनत है.
स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि गुलाब जी का गांव देलवाड़ा मेरे ही निर्वाचन क्षेत्र में है. मैं और गुलाब जी एक ही जगह पढ़े हैं. मेरे पिताजी भी इन्हीं के गांव में शिक्षक रहे. गुलाब जी यहां तक पहुंचे इसके पीछे है उनका अपने विचारों के प्रति दृढ़ रहना. मैंने छात्र जीवन में उन्हें एक कार्यकर्ता के रूप में देखा. गुलाब जी 1977 में पहली बार विधायक बने, मैं 1980 में बना. एक नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्होंने विधानसभा की गरिमा को ऊंचाइयों तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि हमें गुलाबचंद जी से प्रेरणा लेने की जरूरत है. 9 बार विधायक, 1 बार सांसद बनना बड़ी बात है. कटारिया जी असम में राजस्थान का सम्मान बढ़ाएंगे. आप तो संघ के कैडर के आदमी है आपने पूरी जिंदगी बिता दी और असम में अभी भाजपा की सरकार भी है. जब आप भावुक होते हो तो बहुत ही कड़वे बोलते हो. आपने कई बार हमारी बोलती भी बंद की है.
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपने भावुक भाषण में कहा कि गुलाब जी भाईसाब को अब हम महामहिम कहेंगे. मैं विधायक दल और आदरणीय वसुंधरा राजे की ओर से असम का राज्यपाल बनाए जाने पर शुभकामनाएं देता हूं. गुलाब जी कटारिया एक अभिभावक और मार्गदर्शक की तरह हमें नजर आए. कोई भी त्रुटि जाने अनजाने में हमसे हुई हो तो यहीं छोड़ कर जाए.
राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने पर सदन के मुख्य द्वार पर कटारिया के सम्मान में फोटो सेशन हुआ। इस फोटो सेशन में राजस्थान विधानसभा के सभी सदस्यों को बुलाया गया। लेकिन सचिन पायलट के साथ यहां भी एक किस्सा हो गया. जिसके चलते उन्हें अग्रिम पंक्ति की कुर्सियों में बैठने की जगह दूसरी लाइन में विधायकों के साथ खड़ा होना पड़ा। दरअसल, हुआ यह कि जब फोटो सेशन हो रहा था तो अग्रिम पंक्ति में बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई थी। जब पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी अग्रिम पंक्ति की कुर्सी पर बैठने के लिए पहुंचे तो उन्होंने देखा कि हर कुर्सी पर बैठने वाले मंत्री या नेता का नाम लिखा हुआ था।\nकिसी कुर्सी पर सचिन पायलट का नाम नहीं था\n इस सूची में किसी कुर्सी पर सचिन पायलट का नाम नहीं था। ऐसे में सचिन पायलट पीछे जाकर खड़े हो गए। जिसे भांपते हुए मंत्री रामलाल जाट अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और सचिन पायलट को आगे आने के लिए मनाने लगे। लेकिन पायलट ने रामलाल जाट को आगे आने से इनकार कर दिया। उन्होंने दूसरी पंक्ति में खड़े होकर ही फोटो खिंचवाई। अग्रिम पंक्ति में बैठने वालों में पायलट कैंप के मंत्री हेमाराम को छोड़ दिया जाए तो बाकी मंत्री बृजेंद्र ओला और मुरारी लाल मीणा सचिन पायलट के साथ ही पीछे खड़े रहे। हालांकि, सभी मंत्रियों के लिए कुर्सियां आगे लगाई गई थी, लेकिन फिर भी मंत्री सुखराम बिश्नोई, राजेंद्र यादव और अशोक चांदना ने अपनी कुर्सी अन्य वरिष्ठ नेताओं को बैठने के लिए खाली कर दी।