बूंदी जिले में यात्रा के दौरान राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बैलगाड़ी में सवार हुए। बता दें, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन में बैलगाड़ी से संसद पहुंचे थे और अपना विरोध दर्ज किया था। ठीक वैसे ही राहुल गांधी ने आज महंगाई और देश में बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बैलगाड़ी में सवार हुए। करीब 49 साल बाद इतिहास ने अपने को दोहराया है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से जुड़ी हुई हैं। भाजपा ने पेट्रोल कीमतों पर उठ रहे सवालों का जवाब कई बार सोशल मीडिया पर दिया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि देश में महंगाई नहीं बढ़ी है। कांग्रेस का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों से सरकार का फायदा हो रहा है, लेकिन इसका बोझ आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 95वें दिन बूंदी जिले के अरनेठा से शुरू हुई। इसके बाद यह यात्रा कोटा के खुर्द गांव पहुंची, जहां राहुल गांधी देसी अंदाज में नजर आए। यहां उन्होंने चाय-नाश्ता किया और फिर पूर्व जिला प्रमुख महावीर मीणा की लाई गई बैलगाड़ी पर बैठकर कुछ दूर तक यात्रा किए. राहुल बैलों को हांकते भी दिखे।
विश्लेषकों के अनुसार करीब 49 साल बाद इतिहास ने अपने को दोहराया है। भाजपा की सरकार आज भले ही पेट्रोल, डीज़ल के दामों में बढ़ोतरी को जायज ठहरा रही हो, लेकिन करीब 49 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी मुद्दे पर इंदिरा गांधी की सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोला था। जानकारों के अनुसार 12 नवंबर 1973 को जन संघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी और दो अन्य सदस्य बैलगाड़ी से संसद पहुंचे थे। वे देश में पेट्रोल और डीजल की कमी में इंदिरा गांधी का बग्घी से यात्रा करने का विरोध कर रहे थे। तेल का उत्पादन करने वाले मध्य-पूर्व देशों ने भारत को निर्यात होने वाले पेट्रोलियम पदार्थों में कटौती कर दी थी। जिसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने तेल की कीमतों में 80 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी कर दी थी। उस समय में संसद में 6 सप्ताह चलने वाले शीताकालीन सत्र की शुरुआत हुई थी। अब भी शीतकालीन सत्र चल रहा है। बस अंतर इतना वाजपेयी संसद गए थे। जबकि राहुल गांधी यात्रा के दौरान बैलगाड़ी में सवार हुए है। मुद्दा वहीं है। महंगाई का विरोध।