जयपुर : 15 दिन की बेबी मोहिनी जब दूसरे अस्पताल से फोर्टिस अस्पताल की इमेरजेंसी में पहुंची तो बुखार से पस्त और सुस्त थी l दोनों टाँगे एकदम बर्फ माफिक ठंडी थी और दांया पैर बिल्कुल काला हो गया था। पिछले 24 घंटे से पेशाब भी नहीं कर पाई थी l बच्चे के माता -पिता ने doctors को बताया कि मोहिनी को पैदा होने के 7 दिन बाद बुखार और सुस्ती आने लगी , उसके २-३ दिन बाद टाँगे और पांव ठन्डे पड़ने लगे । २-४ दिन सरकारी अस्पताल में इलाज से फर्क नहीं पड़ा तो उन्होंने यहाँ भेज दिया ।
बच्चों के कार्डियक सर्जन डॉ सुनील कौशल ने बताया कि बच्ची की सीटी,अल्ट्रासाउंड और खून की सभी जांचों से पता चला कि न सिर्फ पेट की महाधमनी और उसके पांव की ओर जाती हुई बड़ी धमनियो में बड़े - बड़े थक्के जमने से रक्त प्रवाह पूरा अवरुद्ध पड़ा है बल्कि बेबी कोविड से भी ग्रस्त है ,मतलब करेला ऊपर से नीम चढ़ा । फटाफट रक्त के थक्को और कोविड के इलाज को आगे बढ़ाया गया परन्तु दोनों टांगो ,पावों, गुर्दो और आंतो को खत्म (गैंग्रीन ) होने से बचाने के लिए इमरजेंसी ओप्रशन किया गया इस ओप्रशन में पेट को खोलकर , आंतो को बाहर साइड में निकलकर महाधमनी तक पहुंचा गया । महाधमनी को खोलकर पेट के ऊपरी हिस्से से नीचे टांगो तक जाने वाली धमनियों में से सारे रक्त के बड़े - बड़े थक्को को निकाल दिया गया ऑपरेशन के कुछ ही देर बाद दोनों टाँगे गरम हो गयी और टांग की नब्ज महसूस होने लगी और पेशाब पूरी गति से आने लगा । अगले कुछ दिनों में काला पड़ा दाया पांव भी थोड़ा गुलाबी रंग का दिखने लगा । अब सिर्फ और सिर्फ दाये पांव का अंगूठा ही काला बचा था।
इस तरह वक़्त रहते इमरजेंसी ऑपरेशन करके बच्चे के गुर्दे ,आंतो , टांगो और पावों को बचा लिया गया I
डॉ सुनील कौशल के अनुसार यह देश का सबसे कम उम्र की नवजात हैं जो ना सिर्फ कोविड बीमारी से निजात पा गया बल्कि उसके शरीर के निचले हिस्से को भी बचाने में कामयाबी मिली ।