मेला प्राधिकरण विधेयक के कड़े प्रावधानों से घबराए धार्मिक गुरु और बड़े मंदिरों के निजी ट्रस्ट पदाधिकारी,सीएम गहलोत से मुलाकात,संशोधन की रखी मांग

Jaipur Rajasthan

जयपुर:-विधानसभा में हाल ही में पारित मेला प्राधिकरण विधेयक में रखें कड़े प्रावधानों के चलते प्रदेश के बड़े मंदिरों और दरगाह पर लगने वाले मेले में निजी  ट्रस्टों को जिम्मेदार ठहराया जाने से परेशान धर्म गुरुओं और निजी ट्रस्टों के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से रविवार को उनके निवास पर भेंट की। 

सीएम गहलोत अंगूठे में चोट के कारण चल नहीं पा रहे हैं। लेकिन उन्होंने इन धार्मिक गुरुओं के साथ आत्मीयता के साथ भेंट की।धार्मिक गुरुओं ने सीएम को अपने-अपने मंदिर क्षेत्र का प्रसाद और दुपट्टा बैठकर  अपने दुख दर्द से अवगत कराया। सीएम गहलोत ने इन सभी की बात सुनी लेकिन उनका कहना था कि विधेयक पारित होने से पहले अगर यह सब बातें रखी जाती तो ठीक था। अब संशोधन इलाज संभव नहीं लगता है।

इस मौके पर मुख्य सचिव उषा शर्मा सहित विभिन्न अधिकारी भी मौजूद रहे। सीएम गहलोत से धर्म गुरुओं और निजी ट्रस्टों के पदाधिकारियों ने मेला प्राधिकरण विधेयक में संशोधन कराने की मांग की। 

सीएम गहलोत से रविवार को मिलने वालों में मोती डूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा, मेहंदीपुर बालाजी के महंत नरेश पुरी, सालासर बालाजी मंदिर की यशोवर्धन पुजारी,खोले के हनुमान जी मंदिर ट्रस्ट के सचिव बीएम शर्मा, खाटू श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह, गलता पीठ के पीठाधीश्वर अवधेश महाराज, दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब के बादशाह मियां सहित और मंदिरों के पदाधिकारी शामिल थे। 

प्रदेश के विभिन्न महत्वपूर्ण मंदिरों जिसमें सालासर मंदिर, खाटू श्याम मंदिर जिला सीकर,, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, जिला दौसा, बाबा रामदेव पीर मंदिर जिला जैसलमेर, मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर, खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर, करणी माता मंदिर देशनोक, जिला बीकानेर,  ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर, महावीर जी मंदिर जिला करौली, केला देवी मंदिर जिला करौली, त्रिनेत्र गणेश जी मंदिर, सवाई माधोपुर ऐसे मंदिर हैं जहां पर करोड़ों की आय होती है।  उस आय का उपयोग ट्रस्ट के लोग अपने तरीके से करते हैं। 

देवस्थान विभाग कहने को तो उस पर निगरानी रखता है लेकिन संबंधित सहायक निदेशक और अन्य देवस्थान के कर्मचारी की मिलीभगत से आय का खुलेआम दुरुपयोग किया जाता है। मंदिर द्वारा दिखावे के लिए कुछ कार्य जरूर किए जाते हैं। ऑडिट सही तरीके से नहीं होती है और आए कभी कोई हिसाब किताब नहीं रखा जाता है। 

मंदिरों के पदाधिकारियों ने अपने तौर तरीके से धार्मिक स्थलों पर होटलों का निर्माण कर लिया है। यही नहीं महंगे शौक पूरे किए जाते हैं । मेला प्राधिकरण विधेयक के प्रावधानों से निश्चित तौर पर कुछ नई जिम्मेदारियां तय होगी। इन जिम्मेदारियों को लेने से यह लोग कतरा रहे हैं। अब सीएम गहलोत को गुहार लगा रहे हैं कि संशोधन कर दिया जाए। मेला प्राधिकरण विधेयक फिलहाल राज्यपाल  कलराज मिश्र  को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के माध्यम से भिजवाया गया है। राज्यपाल की अनुमति के बाद यह विधायक निश्चित तौर पर प्रदेश में लागू हो जाएगा।