Jaipur : राजस्थान में ओबीसी आरक्षण विसंगतियों को मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गांधी परिवार के नजदीकी माने जाने वाले पूर्व हरीश चौधरी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंजाब कांग्रेस हरीश चौधरी ने इशारों ही इशारों में सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा। हरीश चौधरी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर शहीद स्मारक पर आंदोलन हुआ, फिर सरकार से वार्ता हुई। सीएमओ में आरक्ष संघर्ष समिति से वार्ता हुई। अधिकारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वार्ता में शामिल थे। हमने गोविंद सिंह डोटासरा को नहीं बुलाया था। वो खुद आए थे वार्ता में, हमने आंदोलन के दौरान कहा था। 48 घंटों में प्रशासनिक अप्रवूल की बात कही थी। सीएम इस बारे में अप्रवूल की बात कह चुके थे। इसे लेकर विवाद भी हुए है। मैं सीएम से इस मुद्दे पर लगातार बात कर रहा था। मैंने सीएम से कहा कि प्रशासनिक अप्रवूल हो चुकी है। अब कैबिनेट होनी चाहिए।
पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि 8 तारीख को मध्यरात्रि में शिमला में सीएम गहलोत से बात हुई। सीएम ने कहा कि कैबिनेट बुलाएंगे। अगले दिन कैबिनेट होती है। ओबीसी आरक्षण का मसला डेफर हो गया। डेफर होना दुर्भाग्यपूर्ण था। आज तक समझ नहीं आ रहा है, ये डेफर क्यों हुआ। हरीश चौधरी ने कहा कि इस मामले को लेकर सीएम गहलोत से 10 बार मिल चुका हूं। सीएम ने कहा कि मांग जायज है। 2018 में बीजेपी सरकार ने नियम बनाया था। राजस्थान में पूर्व सैनिको का आरक्षण निर्धारित है। नियम के कारण ओबीसी छात्रों को कई भर्तियों में परेशानी उठानी पड़ रही है। गांधी परिवार के नजदीकी माने जाने वाले हरीश चौधरी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रेस वार्ता का कर सकते में डाल दिया है। कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा के बाद हरीश चौधरी दूसरे जाट विधायक है। जिन्होंने सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला है।