‘समलैंगिक विवाह से बिगड़ेगा समाज का ताना-बाना, नहीं मिलनी चाहिए मान्यता’, राज्यसभा में बोले सुशील मोदी

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भाजपा सांसद सुशील मोदी समलैंगिक विवाह को अस्वीकार्य बताया है। संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान सुशील मोदी ने राज्यसभा में कहा कि “समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति और परंपरा के लिए उचित नहीं होगा, लेकिन कुछ वामपंथी लोग समाज के ताने-बाने को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दो जज बैठकर इस पर फैसला नहीं कर सकते हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार अपना दाखिल करने के लिए 6 जनवरी तक का समय दिया है। इससे पहले चार समलैंगिक कपल ने देश में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि उनकी शादी को देश के कानून द्वारा मान्यता नहीं मिल रही है, जिससे वह हेल्थ बीमा, पेंशन सहित योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

सभी धर्म की लड़कियों की शादी की उम्र हो एक
सुशील मोदी ने कहा है कि समलैंगिक विवाह से समाज का ताना-बाना बिगड़ेगा और समाज इसे मानने को तैयार नहीं है। इसलिए इसको मान्यता नहीं मिलनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि “सभी लड़कियों की शादी की उम्र एक होनी चाहिए चाहे उनका धर्म कोई भी हो।

विवाह का मतलब स्त्री और पुरुष
सुशील मोदी ने आज निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाह से भारतीय परंपरा, रीति रिवाज और संस्कृति प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि विवाह का मतलब स्त्री और पुरुष है। एक पुरुष और एक स्त्री की शादी होती है, दो पुरुषों के बीच विवाह नहीं होता है। किसी भी धर्म में समलैंगिक विवाह का प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही सुशील मोदी ने सवाल किया है कि इस तरह के विवाह पर परिवार का क्या होगा, बच्चों का क्या होगा?

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