जयपुर:-अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई 26 मई की बैठक को फिलहाल स्थगित कर दिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के शिमला से नहीं लौट पाने के कारण यह बैठक स्थगित की है। नई तिथि शीघ्र घोषित की जाएगी।
राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना चारों राज्यों के विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर बैठक आयोजित की जानी थी। इसकी सूचना सभी नेताओं को दे दी गई थी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं में हलचल तेज थी और राजस्थान के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्सुकता थी कि अब तो सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन बैठक के स्थगित की सूचना ने कई आशान्वित नेताओं और कार्यकर्ताओं को निराश किया है। यह भी कवायद तेज हो गई थी कि अब शीघ्र मंत्रिमंडल और संगठन में व्यापक बदलाव हो जाएगा। लेकिन बैठक स्थगित होने से सब काम अधर झूल में अटक गए हैं।
26 मई की बैठक को लेकर कांग्रेस प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा ने भी 2 दिन तक जयपुर में रहे और उन्होंने सीएम गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की आपसी सहमति से रिपोर्ट तैयार की। जिससे कि लगे कि प्रभारी रंधावा संगठन और सत्ता से मिलकर चल रहे हैं । प्रभारी रंधावा की तैयार रिपोर्ट का क्या कुछ है जिसका तो खुलासा नहीं हो पाया है।
चर्चा यह भी है कि 25 सितंबर की बगावत करने वाले तीनों नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है यही कारण है कि स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने अब यह नया निर्णय ले लिया है कि जयपुर विकास प्राधिकरण की फाइलें अब आयुक्त स्तर पर ही निपटाई जाएगी। ऐसा क्यों किया गया यह तो खुद ही बता सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की व्यस्तता के चलते बैठक को अचानक स्थगित कर दिया मैं । अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की 26 मई की बैठक स्थगित होने की सूचना जैसे ही सीएम गहलोत तक पहुंची तो उन्होंने एक नया राग अलापना शुरू कर दिया। उन्होंने पेपर लीक के मामले में 26 लाख पीड़ित युवाओं को मुआवजा नहीं देने की बात कह कर एक नया राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया। सीएम गहलोत ने सीधे तौर पर तो सचिन पायलट के आरोप का तो जवाब नहीं दिया, लेकिन प्रतिपक्ष पर सीधा हमला कर बुद्धि के दिवालियापन का आरोप लगाकर नई राजनीतिक चर्चा शुरू करा दी ।
आखिर सीएम गहलोत को यह बयान अचानक देने की क्या जरूरत पड़ी। सीएम गहलोत ने सचिन पायलट समर्थित परिवहन राज्यमंत्री बृजेंद्र ओला के अधीन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के कार्यक्रम में यह बयान क्यों दिया। इसके पीछे सीएम गहलोत का यही मकसद था कि सचिन पायलट तक यह संदेश चला जाए कि वे सचिन पायलट के आरोपों को किस तरह से लेते हैं । राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के कार्यक्रम में खाद्य आपूर्ति प्रताप सिंह खाचरियावास, जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया की मौजूद थे। इस कार्यक्रम में प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा मौजूद थी क्यों नहीं थे।
कांग्रेस का केंद्र नेतृत्व इस बात के लिए गंभीर और चिंतित है कि राजस्थान के कांग्रेस नेताओं में आपसी समन्वय नहीं बन पा रहा है। वहीं दूसरी ओरप्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा दावा जरूर करते हैं कि वे यहां नेताओं में हो रहे विवाद को नियंत्रित कर लेंगे लेकिन प्रभारी रंधावा कुछ नहीं कर पा रहे है। यही कारण है कि सीधे तौर पर सीएम गहलोत और सचिन पायलट ही अपनी सीमाएं तोड़ रहे हैं। इन दोनों नेताओं को प्रभारी रंधावा कुछ नहीं कह पा रहे हैं । यही कारण है कि प्रभारी रंधावा यही कहते नजर आ रहे हैं कि मुझे सचिन पायलट की मांग पर कोई जवाब देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यही कहते हुए अपना बचाव किया कि सचिन पायलट ने संगठन से कोई मांग नहीं की है सचिन पायलट ने जो मांग रखी है वह सीएम गहलोत के स्तर की है अब वही जवाब देंगे। प्रभारी रंधावा के इस बयान के बाद ही सीएम गहलोत ने सचिन पायलट का सार्वजनिक स्थलों पर बयान बाजी कर जवाब देना शुरू कर दिया है।
विधानसभा चुनाव को लेकर अब बैठक कब होगी इसका निर्धारण राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के विचार-विमर्श के बाद ही निर्णय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ही करेंगे। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी के भविष्य के निर्णय गांधी परिवार पर ही निर्भर है। राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे के निर्णय का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। चलो हम सभी फिर से इंतजार कर रहे हैं की नई तिथि कब घोषित होगी !