एक तरफ हंगामा छाया है कि भारत में भूख से बदतर हाल है लगातार हम ग्लोबल हंगर इंडेक्स में नीचे आरहे हैं तो दूसरी तरफ अगर 20 सालों की बात की जाए भारत ने अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहद मज़बूत किया है।
केंद्र सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसको भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास मात्र बताया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले आठ सालों में गरीबी उन्मूलन पर अच्छा और तेज़ काम हुआ है और कोविड आपदा के बाद से अब तक मोदी सरकार के मुफ्त अनाज वितरण ने लोगों के बच्चों के साथ जानवरों के पेट भरने को भी अनाज उपलब्ध करवाया है, भारत आधी दुनिया को अनाज निर्यात करता है और हमारे गोदामों में अनाज भरा पड़ा है। हम ब्रिटेन को अर्थव्यवस्था में पीछे छोड़ चूके हैं, हमारी प्रगति दर अन्य देशो की मुकाबले बेहतर है, विदेशी मुद्रा भंडार भारत की देनदारियों ऊपर है।
आखिर ये यूरोप में बैठे लोग क़िस दूरबीन से देख रहे हैं इन भूखे लोगों को जो हमको नही दिखते, क्या आप किसी ऐसे सर्वे का हिस्सा बने जिसमें #ग्लोबलहंगरइंडेक्स वाले आपसे जानकारी जुटाने आये हों! आखिर इनके आंकड़ों का आधार क्या है? कुछ NGO और दुनिया को अपने हिसाब से चलाने की ज़िद पाले यूरोप के कुछ संस्थान मिलकर भारत के लिए दुनिया में झूठ फैला रहे है |