RPSC को भंग करें सरकार-हनुमान बेनीवाल:बोले- चेयरमैन की मिलीभगत से हुए पेपर लीक,सभी पेपर हो रद्द

Jaipur Rajasthan

जयपुर:-राजस्थान में सीनियर टीचर पेपर लीक मामले में सांसद हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत को आरपीएससी के चेयरमैन को बर्खास्त कर उन्हें गिरफ्तार करवाना चाहिए। ताकि पेपर लीक प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो सके। इसके साथ ही सरकार पेपर लीक प्रकरण की जांच सीबीआई दे। ताकि राजस्थान के लाखों मेहनतकश युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।

सांसद बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबू लाल कटारा द्वारा 60 दिवस पहले ही पेपर अपने घर पर ले जाना चेयरमैन की सह के बिना असंभव है। ऐसे में ED को राजस्थान लोक सेवा आयोग के चेयरमैन सहित संदेह के दायरे में आ रहे सभी लोगो की संपतियों की जांच करनी चाहिए। इसके साथ ही वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के सभी पेपर हो रद्द होने चाहिए। क्योंकि अब जांच में एक-एक करके पेपर आउट होने की जानकारी सामने आ रही है। ऐसे में यह कैसे सुनिश्चित होगा की दूसरे सभी ग्रुपों के विषयों के पेपर आउट नही हुए थे।

सांसद बेनीवाल ने कहा मुख्यमंत्री गहलोत में अगर वास्तव में पेपर लीक करने वाले माफियाओं पर कानूनी शिकंजा कसने का मादा है। तो उन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को बर्खास्त करने की प्रक्रिया को अपनाते हुए गिरफ्तार करना चाहिए। क्योंकि जिस तरह आरपीएससी के काले कारनामों की एक एक करके परत खुल रही है। उसकी असली सच्चाई आयोग के चेयरमैन की गिरफ्तारी से ही सामने आएगी।

बेनीवाल ने कहा राजस्थान में लगातार भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट होने से मेहनतकश युवाओंके भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। ऐसे में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा और रीट जैसी परीक्षाओं के पेपर आउट प्रकरण की जांच राज्य सरकार को त्वरित सीबीआई को देनी चाहिए। मगर ऐसा लग रहा है की पेपर लीक मामलो के तार सीएमओ से जुड़े हुए होने के कारण गहलोत सीबीआई जांच की सिफारिश करने से कतरा रहे है।

जबकी राजस्थान लोक सेवा आयोग जैसी संस्था का पूरा कार्य संदेह के घेरे में है। इसलिए राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने के लिए अपनाई जाने वाली संवैधानिक प्रक्रियाओं को तुरंत पूरा करके भंग करवाए और नए चेयरमैन सहित राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यों की फिर से नियुक्ति होनी चाहिए। जिसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए की उसमे राजनैतिक और जातिगत आधार किसी भी व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जाए।