टोंक:-टोंक जिले के बनास नदी के नजदीक डोड़वाड़ी गांव के समीप शंकर मीणा की हत्या में बजरी लीज धारक कर्मियों का हाथ होने के आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू किया था।आंदोलन की शुरुआत के बाद से अब तक बनास नदी में बजरी के ट्रकों की आवाजाही बन्द है। इतना ही नही ग्रामीणों की मांग के बाद जिला प्रशासन ने बजरी के स्टॉक के उठाव को प्रतिबंधित किए जाने से ट्रक मालिको के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। जिन्होंने मांग कि है कि बनास नदी में लीगल बजरी के स्टॉक से बजरी उठाव की अनुमति दी जाए।
ऑल राजस्थान बजरी ट्रक ऑपरेटर्स वेलफेयर सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन शर्मा की अगुवाई में शनिवार को बजरी ट्रक ऑपरेटर्स जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे जिन्होंने एसपी राजर्षि राज से मुलाकात की तथा अपनी मांगों का ज्ञापन दिया।जिसमे मांग की है टोंक तहसील इलाके में पिछले दिनों शंकर मीणा मौत मामले को लेकर पिछले चार दिन से बनास नदी व स्टॉको से ट्रकों में बजरी का उठाव व भराई नही हो पाने से बजरी का कारोबार ठप्प पड़ा हुआ है।जिन्होंने बनास नदी की लीगल लीज के स्टॉक व बनास नदी से बजरी भराई की अनुमति दी जाए।
प्रदेशाध्यक्ष नवीन शर्मा ने कहा है कि मृतक शंकर मीणा के परिवार के प्रति हमारी संवेदना है क्योंकि परिवार के नोजवान युवक की मौत होने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।उन्होंने कहा कि शंकर मीणा की मौत के लिए दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।साथ ही कहा कि लेकिन बजरी व्यवसाय को क्राइम की घटना से जोड़ते हुए लीगल बजरी स्टॉक या बनास नदी में वैद्य बजरी उठाव पर रोक लगाना गलत है।
बनास नदी में पिछले बुधवार से बजरी कुठाव नही होने से हजारों बजरी ट्रक मालिको का व्यवसाय ठप्प पड़ा है वही बजरी की किल्लत के कारण जयपुर सहित आसपास के इलाकों मरण बजरी महंगी हो गई जिससे आम बजरी उपभोक्ताओं को भी दिक्कतें उठानी पड़ रही है वही राज्य सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है।