हार या जीत का असर उनकी राजनीति छवि पर पड़ेगा
शिमला : हिमाचल प्रदेश चुनाव प्रचार अंतिम दौर में हैं। कांग्रेस की तरफ से पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाल रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के बाद यह चुनाव प्रियंका के लिए बड़ा इम्तिहान साबित हो सकता है।
इस साल की शुरुआत में तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस यूपी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई। वर्ष 2017 के मुकाबले पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा। हार के कई कारण रहे, पर सीधा असर प्रियंका गांधी की छवि पर पड़ा। लिहाजा, हिमाचल प्रदेश से काफी उम्मीदें हैं क्योंकि वही कांग्रेस का मुख्य चेहरा हैं। ऐसे में यहां हार या जीत का असर उनकी राजनीति छवि पर पड़ना लाजिमी है।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्रत्त् के प्रोफेसर राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि प्रियंका चुनाव में पार्टी की मुख्य प्रचारक हैं। पार्टी की चुनावी रणनीति उनके इर्द गिर्द है। प्रियंका गांधी हिमाचल की चारों संसदीय क्षेत्रों में एक-एक बड़ी रैली के साथ कई छोटी सभाएं और रोड शो कर रही हैं। पार्टी चुनाव जीतती है, तो इसका सीधा श्रेय उन्हें दिया जाएगा।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव में बहुत मेहनत की थी। हिमाचल प्रदेश में भी वह पूरा वक्त दे रही हैं। ऐसे में इन चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं करती है, तो विरोधी खेमा प्रियंका को चुनावी राजनीति में बेअसर साबित कर सकता है। ऐसे में भविष्य में होने वाले चुनाव में उन पर दबाव बढ़ जाएगा।
पार्टी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले प्रियंका को महासचिव नियुक्त करते हुए उन्हें पूरी यूपी की जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद उन्हें पूरे प्रदेश का प्रभारी महासचिव बना दिया गया। लोकसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई और विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो सीटें मिलीं, जबकि प्रियंका ने 100 से ज्यादा रैलियां, 42 रोड शो किए थे।