झूंझुनूं के मंडावा व गुढाबावनी की खास है होली
अंग्रेजों ने बजाए नगाड़ा-पूर्व विधायक के गले मे डाला सांप- बुराई छोड़ने पर मिलता है 5किलो घी-एसपी कच्छावा भी नाचे

Jaipur Rajasthan

झूंझुनूं
होली को लेकर देश में कई परम्परा है। हुड़दंग आदि को लेकर जहां इस पर्व की पहचान है तो कई जगह आदर्श मिशाल भी है। जिले के मंडावा की होली आदर्श के रूप में पहचान रखती है वही गुढ़ागौड़जी के गुढाबावनी में सामाजिक बुराई छोड़ने वालो को 5किलो देशी घी दिया जाता है। खास बात यह है कि यहां न रंग लगाया जाता है न किसी के गुलाल है।
मण्डावा में धुलंडी पर पिछले सवा सौ सालों से चली आ रही परम्परा आज भी निभाई जा रही है।
यहां गुलाल से सुखी होली खेली जाती है। पानी से बचाव का संदेश देती यहां की धुलण्डी एक मिसाल है, हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा की मिसाल शायद ही अन्य जगह देखने को मिले। इसमें विदेशी सेलानी भी खूब आनंद लेते है। इस पर्व पर शालिनता की नींव डालने वाले वैद्य लक्ष्मीधर शुक्ल के प्रयासों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्ही के प्रयास से
होली मनाने की परम्परा बदली गई थी। उस दौरान व्यक्ति को चारपाई पर लिटाकर भीड़ के साथ धुलंडी का जुलूस निकालना शुरू किया था। 125 साल पहले शुरू किया गया प्रयास आज कस्बे वासियों के लिए परंपरा बन गया है। सभी के सामूहिक योगदान व सहयोग से मंडावा में होली महोत्सव की सांस्कृतिक परंपरा और मान्यता का आदर्श रूप आज भी कायम है।
धुलंडी पर निकाली जाने वाली गेर में काफी लोग शामिल होते हैं। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते है। गैर जब मुख्य मार्गों से गुजरती है तो महिलाओं की भीड़ बिना किसी भय के बेफ्रिक होकर नए कपड़े पहनकर हजारों लोगों की भीड़ के बीच से गुजर सकती है।

वही दूसरी तरफ गुढ़ागौड़जी के गुढाबावनी गांव में बिना रंग-भंग-हुड़दंग के होली खेली जाती है। शराब जैसी सामाजिक बुराई छोड़ने वाले को 5किलो देशी घी दिया जाता है।
इस बार तो हंसी ठिठोली खूब आगे बढ़ गई। पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी के गले मे सांप डाल दिया गया, हालांकि यह सांप किसी सपेरा के द्वारा पकड़ा हुआ था। बराला ज्वेलर्स के मनदीप बराला की ओर से 70कलाकारों को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया गया।
इधर पुलिस की होली पर एसपी मृदुल कच्छावा भी जमकर नाचे।