जयपुर:-चुनावी साल में कांग्रेस के भीतर सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच कोल्ड वार तेज हो गई है। बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई के मुद्दे पर सचिन पायलट अपने स्टैंड पर अड़ गए हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान से जुड़े नेताओं के सामने पायलट ने बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर सीएम अशोक गहलोत पर फिर सवाल खड़े किए हैं।
पायलट ने उनसे बात करने वाले नेताओं के सामने अपना स्टैंड किसी भी हालत में बदलने से साफ मना कर दिया।
पायलट से संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अनशन के बाद बात की थी। उन्होंने इसके बाद हुए घटनाक्रम, प्रभारी और सीएम के रोल पर तल्ख अंदाज में सवाल उठाए।
पायलट ने अपना स्टैंड दोहराया
सचिन पायलट ने अनशन के बाद प्रदेश प्रभारी और सीएम की भूमिका को लेकर उनसे बात करने वाले नेताओं के सामने तल्खी दिखाई। पायलट ने नेताओं को अपना स्टैंड दोहराते हुए कहा- बीजेपी राज के करप्शन पर जांच ओर कार्रवाई की मांग करना कांग्रेस विरोधी गतिविधि कैसे हो गया?
अनशन से पहले और अनशन के दौरान कांग्रेस के किसी नेता के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया गया। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए बीजेपी के करप्शन पर जो सवाल उठाए उन्हीं बातों को अनशन के दौरान उठाया गया।
पायलट ने नेताओं से हुई वार्ता में इस बात को प्रमुखता से दोहराया कि उनके मामले को पार्टी विरोधी गतिविधि बताने का कोई ग्राउंड नहीं था।
कांग्रेस सरकार पर आरोप VS बीजेपी के करप्शन पर आरोप
पायलट ने हाईकमान के नेताओं को राजस्थान में लगातार कांग्रेस नेताओं के द्वारा उठाए गए करप्शन के मुद्दों का भी जिक्र किया। नेताओं को बताया गया कि कांग्रेस के कुछ विधायकों ने भी सरकार पर विधानसभा के अंदर-बाहर करप्शन के आरोप लगाए।
चिट्ठियां लिखीं, आरोप लगाए, उन मामलों में सब चुप्पी साधे रहे। जब बीजेपी राज के करप्शन के मामले में कार्रवाई की मांग उठाई गई तो उसे कांग्रेस विरोधी बताने में पूरा जोर लगा दिया। इस तरह का रिएक्शन क्यों आया?
अनशन से पहले ही पार्टी विरोधी गतिविधि कैसे घोषित किया?
पायलट ने हाईकमान से जुड़े नेताओं के सामने प्रभारी और सीएम की भूमिका को लेकर तल्खी जाहिर करते हुए अनशन से पहले पार्टी विरोधी गतिविधि घोषित करने पर सवाल उठाए। पायलट का तर्क था कि बीजेपी के करप्शन पर कार्रवाई की मांग के अलावा न सरकार और न पार्टी के खिलाफ एक शब्द बोला गया। यह पहली बार हुआ कि कोई इवेंट हुआ ही नहीं और इससे पहले ही उसे आधिकारिक रूप से पार्टी विरोधी घोषित कर दिया।
रिपोर्ट और सफाई पर तल्ख सवाल
गहलोत ने पायलट के अनशन वाले मुद्दों पर प्रभारी के जरिए हाईकमान को रिपोर्ट भिजवाई थी। उस रिपोर्ट में पायलट के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया गया था।
पायलट ने गहलोत की रिपोर्ट पर भी नेताओं के सामने सवाल उठाए। पायलट ने नेताओं को इस मसले में अपना स्टैंड साफ करते हुए साफ कहा कि सरकार ने खान घोटाले सहित जिन मुद्दों पर कार्रवाई की बात कही है, उस पर हम सब कैग से मिले, दिल्ली में राष्ट्रपति से मिले, वे तो उसी वक्त के दबाव से ही बीजेपी राज में खान आवंटन रद्द करने पड़े थे।
पीछे हटने से इनकार
सचिन पायलट ने हाईकमान से जुड़े नेताओं के सामने यह साफ कर दिया कि बीजेपी राज के करप्शन पर एक्शन की मांग को छोड़ा नहीं जाएगा। इस मुद्दे पर वोट लेकर ही जब सत्ता में आए हैं तो जनता को यह दिखना चाहिए कि हम कार्रवाई करते हैं। पायलट ने आगे भी कार्रवाई का मुद्दा लॉजिकल कन्क्लूजन तक नहीं पहुंचने तक इसे उठाने की बात कहकर आगे के सियासी संकेत दे दिए हैं।
पायलट अब फील्ड में उतरकर करप्शन का मुद्दा गर्माने की तैयारी में
सचिन पायलट ने पिछले दिनों झुंझुनूं के खेतड़ी में हुई सभा में बीजेपी राज के करप्शन का मुद्दा उठाते हुए कहा था- हमने वसुंधरा राजे सरकार पर करप्शन के आरोप लगाकर वोट लिए। उस पर तो कार्रवाई होनी ही चाहिए। हमने चुनावों में जो वादा किया उस पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई है। इस मुद्दे पर अनशन किया लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पायलट ने जिस तरह के तेवर सभा में दिखाए वही तेवर हाईकमान से जुड़े नेताओं के सामने दिखाए हैं। पायलट की प्रदेश के कई और इलाकों में सभाओं की तैयारी चल रही है।
सीएम के पास पूरा पावर सेंट्रलाइज होने, मंत्रियों के पावरलेस होने पर भी सवाल
पायलट ने सीएम गहलोत के कामकाज की शैली पर भी हाईकमान के नजदीकी नेताओं के सामने सवाल उठाए हैं। पायलट ने सीएम के हाथ में ही पूरा पावर सेंट्रलाइज होने और मंत्रियों के पावरलेस होने पर भी सवाल उठाए हैं। सरकार और संगठन का पूरा पावर सेंटर एक ही जगह होने से होने वाले नुकसान और दूसरे खेमों की आवाज को नहीं सुनने से होने वाले नुकसान भी गिनाए। पायलट ने मंत्रियों के पावरलेस होने सहित जिन मुद्दों पर नाराजगी जाहिर की, उन बातों को उनके समर्थक विधायक सभाओं में उठाते रहे हैं।