वसुंधरा-राजे के करप्शन को उठाना अनुशासनहीनता कैसे?:अटकलें लगाने की जरूरत नहीं,मैं सबके सामने कहता-करता हूं:-पायलट

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किशनगढ़:-पेपरलीक और करप्शन के खिलाफ सचिन पायलट की यात्रा का आज दूसरा दिन है। पायलट के साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक यात्रा में चल रहे हैं। सचिन पायलट ने एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। अनुशासनहीनता के आरोपों पर कहा कि वसुंधरा राजे के राज के वक्त हुए करप्शन की जांच की बात उठाना अनुशासनहीनता कैसे हो गया? पायलट ने गहलोत खेमे की तरफ से लगाए जा रहे आरोप पर भी तीखा पलटवार किया है।

सचिन पायलट ने कहा- मैंने जब अनशन किया तो वसुंधरा राजे के करप्श्सन के खिलाफ किया। मुझे समझ में नहीं आता कि यह पार्टी के अनुशासन को लांघने का केस कैसे बनता है? अनुशासन तोड़ने का काम तो 25 सितंबर को किया गया था, जब सोनिया गांधी के स्पष्ट आदेश थे दोनों पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक करवाने आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री निवास पर बैठक रखने के बावजूद वह क्यों नहीं हो पाई? बाद में विधायकों ने इस्तीफे दिए। स्पीकर ने कोर्ट में कहा कि इस्तीफे रिजेक्ट इसलिए करने पड़े क्योंकि विधायकों ने खुद की मर्जी से नहीं दिए गए थे। फिर किसकी मर्जी से दिए गए थे? क्या दबाव था? जहां तक बात अनुशासन की है तो मापदंड सबके लिए बराबर होना चाहिए। जो हमारे साथी विधायकों ने इस्तीफे दिए क्या सरकार संकट में नहीं आ गई थी।

इधर, शुक्रवार सुबह 8 बजे यात्रा की शुरुआत टोल से हुई। 11 बजे बिड़ला स्कूल, बांदर सिंदरी के पास विश्राम रहेगा। दूसरे दिन की यात्रा का दूसरा चरण शाम 4 बजे बिड़ला स्कूल से दोबारा शुरू होगा, जिसके बाद विश्राम शाम 7 बजे गेजी मोड़, पड़सौली में रहेगा।

हम अपनी बात रखने दिल्ली गए थे, हम में से किसी विधायक ने इस्तीफा दिया क्या?

पायलट ने कहा- हम जब दिल्ली गए थे अपनी बात रखने के लिए, हम में से किसी साथी ने इस्तीफा दिया क्या? हमने कब पार्टी के खिलाफ बात रखी? कब सोनिया गांधी के खिलाफ बात की। 25 सितंबर सितंबर को जो हुआ वह सबके सामने है। जबकि पार्टी ने जो कहा उसका हमने सम्मान किया। पार्टी ने जब जो कहा हमने उसको स्वीकार किया। पार्टी ने दोनों पद छोड़ने को कहा तो माना। हमारी मांगों पर बनी कमेटी किसी नेता ने नहीं पार्टी ने बनाई थी। हमने हर चुनाव में प्रचार किया, बीजेपी को हराया। पार्टी के खिलाफ एक काम नहीं किया। 25 सितंबर को जो हुआ वह तो इतिहास में पहली बार हुआ है। कांग्रेस पार्टी के इतिहास में पहली बार यह हुआ कि कांग्रेस अध्यक्ष के आदेश पर आने वाले पर्यवेक्षकों की बेइज्जती की जाए, फिर मीटिंग न हो और खाली हाथ लौटा दिया गया हो। फिर नोटिस भी जारी किए गए लेकिन उनका अभी तक कुछ हुआ, नहीं मुझे लगता है उस बात का भी संज्ञान लेना चाहिए।

कांग्रेस छोड़ने की अटकलों पर कहा- आपको अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है

11 जून को कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के सवाल पर पायलट ने कहा- आप सबको अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है। मैं जो भी कहता करता हूं सबके सामने रखकर करता हूं, मैं छुपा- छुपी का गेम नहीं खेलता हूं। मैं जो बोला है सबके सामने बोला है। मैं डबल मीनिंग वाली बातें भी नहीं करता। मेरी मांग सामूहिक है, व्यक्तिगत नहीं है। मुझे पद की लालसा नहीं है। पार्टी ने बहुत हद तक बहुत कुछ दिया है। मेरा घोर विरोधी भी निष्ठा और ईमानदारी पर उंगली नहीं उठा सकता। हमें नौजवानों की बात सुननी पड़ेगी। नौजवानों के लिए संघर्ष करने में पहले कभी कमी थोड़ी ना आगे छोडूंगा, बाकी चुनाव में हार जीत चलती रहती है।

गहलोत की लीडरशिप में चुनाव के सवाल पर बोले- पार्टी सत्ता में होती है तो चुनावों में सीएम ही चेहरा होता है

इस बार का विधानसभा चुनाव गहलोत के नेतृत्व में लड़ने के सवाल पर पायलट ने कहा- जब पार्टी सत्ता में होती है तो मुख्यमंत्री ही चेहरा होता है। जब भाजपा सरकार में थी तो चेहरा वसुंधरा जी थी या अशाोक परनामी थे, स्वाभाविक है वसुंधरा राजे ही चेहरा थीं। सत्ता में मुख्यमंत्री और जब विपक्ष में होते हैं तो पार्टी का अध्यक्ष ही चेहरा होता है और आमतौर पर लीड करता है। पिछले 25 सालों में जब-जब भी सरकार कांग्रेस की रही है, हम हारे हैं। मैंने अपने सुझावों से हाईकमान की बनाई कमेटी को अवगत करवा रखा है। हम सब चाहते हैं कि सरकार रिपीट हो।

आप सब जानते हैं अमर्यादित भाषण कौन देता है?

सीएम अशोक गहलोत के तेरी मेरी करने वाले पार्टी के नहीं होते वाले बयान पर पायलट ने कहा – केवल अखबार में छपने से या खबर फैलाने से,भाषण देने से सच्चाई नहीं बदलती। सच्चाई वही है और जनता सब जानती है और हम से ज्यादा जानती है। इसलिए हमेशा मैंने मर्यादा में रहकर विरोध किया है। आप सब जानते हैं अमर्यादित भाषण कौन देता है? मैंने हमेशा सम्मान से बात की है। विरोध किया है तो बड़ी सभ्य भाषा का इस्तेमाल किया है। जो मुद्दे उठा रहे हैं आप उन्हीं पर आरोप जड़ दो और उन्हीं को टारगेट करो, इससे बेहतर तो यह होगा हमने जो कहा है उसे करके दिखाओ।

गहलोत ने वसुंधरा राजे पर माफियाओं से करोड़ों लेने के आरोप लगाए थे
पायलट ने कहा- हमने वसुंधरा राजे का सत्ता में रहते हुए विरोध किया था । मेरी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। वसुंधरा सरकार के समय खुद गहलोत साहब ने आरोप लगाया था कि शराब माफिया बजरी माफिया काम कर रहा है। गहलोत ने खुद कहा था कि बजरी शराब माफिया से हर महीने 40 करोड़ वसुंधरा राजे को जाता है। हम इतने गंभीर आरोप लगा रहे हैं तो उन आरोपों के बाद हम कर क्या रहे हैं? उन आरोपों की जांच करा लें, जांच में कुछ नहीं निकले तो हम सब बोल देंगे कि हम सब ने गलत आरोप लगाए थे। हम जांच ही नहीं करें तो कैसे काम चलेगा?

आरपीएससी अध्यक्ष से लेकर मेंबर्स के चयन की पूरी प्रक्रिया बदली जाए

पायलट ने कहा- एक छोटे-मोटे दलाल का किराए का मकान तोड़ दिया लेकिन आरपीएससी सदस्य कटारा पकड़ा गया उसका मकान अभी तक टूटा। आरपीएससी के अध्यक्ष,सदस्यों का जो चयन होता है उसके पीछे कौन लोग हैं, इस तह में जाना पड़ेगा। आरपीएससी मेंबर्स और अध्यक्ष के चयन की पूरी प्रक्रिया को बदलने की जरूरत है। इन पदों पर अच्छे एक्सपर्ट और साफ छवि के ख्यातनाम लोगों को चयन करना होगा। इसका एक मेकैनिज्म विकसित करना होगा । इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है, आप चाहे जिसको नियुक्त कर देते हो और जब वह घोटाले में पकड़ा जाता है तो हाथ खड़े कर देते हो। मैं चाहता हूं कि इस पूरी प्रक्रिया और ढांचे को बदला जाए। पिछले समय से जो प्रकरण हो रहे हैं इसके पीछे कौन है,किनके संरक्षण में सब चल रहा है? करप्शन को संरक्षण कौन लोग दे रहे हैं? उन तक पहुंचने की जरूरत है।

पार्टी का काम करने के लिए किसी से इजाजत की जरूरत नहीं

पायलट ने कहा-राजस्थान में हम सरकार रिपीट नहीं कर पाए हैं। सरकार रिपीट करने के लिए जो भी मुझे कहना सुनाना था वह सब कह रखा है। पार्टी को मजबूत करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। पार्टी का काम करने के लिए किसी से इजाजत की जरूरत नहीं होती है। मैंने जो मुद्दे उठाए हैं वे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

किसान सभाओं में भी फोटो के सवाल उठे थे
यात्रा के पोस्टरों से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के फोटो नहीं होने के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा-कुछ दिन पहले मैंने किसान सभाएं की थीं। केंद्र सरकार से एमएसपी पर कानून बनाने की मांग रचाी थी लेकिन उस पर कुछ नहीं हुआ। उन किसान सभाओं के वक्त भी यही कहा गया था कि इसकी फोटो लगाई उसकी फोटो नहीं लगाई।