जेटीएफ में प्रदर्शित डाक टिकट संग्रह में जिंदा है टाइगर की सैकड़ों कहानियां

Jaipur Rajasthan

जेकेके की अलंकार दीर्घा में जारी है जयपुर टाइगर फेस्टिवल:इंटरनेशनल टाइगर डे पर विशेष आयोजन

जयपुर: कहा जाता है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है लेकिन डाक टिकट ऐसा दस्तावेज है इसका ऐतिहासिक महत्व भी है और उसकी अपनी एक कहानी भी है। राजस्थान हेरिटेज, आर्ट एंड कल्चरल फाउंडेशन की ओर से जारी जयपुर टाइगर फेस्टिवल (जेटीएफ) में ऐसे ही डाक टिकट की प्रदर्शनी लगायी गयी है जिनमें टाइगर की सैकड़ों कहानी जिंदा नजर आती है। इंटरनेशनल टाइगर डे के मद्देनजर जवाहर कला केन्द्र की अलंकार गैलरी में इस भव्य फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है।

फिलाटेलिक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के राजेश पहाड़िया ने बताया कि उन्होंने छठी कक्षा से डाक टिकट का संग्रह शुरू किया था। पिछले 20 साल से वे बाघों पर विभिन्न देशों में निकाले गए डाक टिकट, गजट और ऐतिहासिक दस्तावेजों का संग्रह तैयार कर रहे है जो जेटीएफ में प्रदर्शित किया गया है। यहां भारत, भूटान, चीन, इंडोनेशिया, कोरिया और रूस समेत 30 देशों के डाक टिकट का संग्रह दिखाया गया है। इस संग्रह से बाघ की भूमिका, एनाटॉमी, आवास, बाघ के लिए खतरे, मानव जीवन में बाघ का महत्व, पौराणिक कथाओं में बाघ, बाघ से जुड़े व्यापार और संरक्षण की जानकारी दर्शायी गयी है।

जब बीकानेर नरेश ने ब्रिटेन को लिखा पत्र…

यहां कई ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें 8 अक्टूबर, 1920 में बीकानेर के तत्कालीन राजा गंगा सिंह की ओर से ब्रिटिश प्रधानमंत्री को लिखा गजट भी है। इसमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री से फ्रांस जॉर्जिस क्लेमेंसो को समझाने का आग्रह किया गया है। दरअसल जॉर्जिस ने गंगा सिंह से आग्रह किया था कि वे बीकानेर में बाघ का शिकार करना चाहते है जबकि बीकानेर में बाघ का आवास नहीं था। गंगा सिंह खुद बाघ का शिकार करने के लिए भारत के दूसरे स्थानों पर जाया करते थे जिसका जिक्र एक गजट में है जो यहां प्रदर्शित है। इसी के साथ सफेद बाघ किस तरह रीवा मध्य प्रदेश से दुनियाभर में पहुंचा इसका जिक्र भी यहां प्रदर्शित तत्कालीन गजट और डाक टिकट में है। इसी के साथ सन् 1920 में भरतपुर दरबार की ओर से वन्यजीवों की बिक्री के लिए जारी बिल भी यहां मौजूद है। सन् 1907 इंदौर रियासत की ओर से बाघ शिकार पर प्रतिबंध लगाने का दस्तावेज भी यहां मौजूद है। समाइरा सिंह की ओर से संग्रहित टिकट भी यहां पेश किए गए हैं। राजेश पहाड़िया ने बताया कि बाघ कई देशों का राष्ट्रीय पशु है इसी के साथ भारत समेत कई देशों में बाघों का पौराणिक व धार्मिक महत्व है इसके अनुसार भी डाक टिकट जारी किए गए है। भारतीयों के लिए बाघ आम जीवन का हिस्सा है इसलिए यहां चुनाव चिन्ह, व्यापार चिन्ह आदि में भी उसका प्रयोग किया जाता रहा है।  

टाइगर कंजर्वेशन का अपना महत्व है: एस नल्लामुथु

जयपुर टाइगर फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में वाइल्ड लाइफ लवर्स पहुंचे। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, राजस्थान पवन कुमार उपाध्याय ने जेटीएफ को बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने में बहुत कारगर आयोजन बताया। इसके अतिरिक्त हवामहल विधानसभा के पूर्व विधायक सुरेन्द्र पारीक समेत अन्य गणमान्य जनों ने जेटीएफ में शिरकत की। मशहूर वाइल्ड लाइफ फिल्म मेकर एस. नल्लामुथु ने जेटीएफ के मंच से कहा कि इंटरनेशनल टाइगर डे के अवसर पर इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। जेटीएफ से देश-दुनिया में यह संदेश पहुंचा है कि टाइगर कंजर्वेशन भी अन्य मुद्दों की तरह वरियता रखता है, टाइगर प्रकृति और इंसान दोनों के लिए बहुत जरूरी है।