भारत ने लद्दाख के कुछ हिस्सों को चीन द्वारा अपने क्षेत्र में शामिल करने के प्रयासों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय ने चीन के होतान प्रांत में दो नए जिलों—हेआन और हेकांग—की स्थापना को अवैध करार दिया है, जिनमें कुछ क्षेत्र लद्दाख का हिस्सा हैं।
लद्दाख पर चीन के दावे को भारत ने बताया अवैध
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने कभी भी लद्दाख में चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने साफ कहा, “नए काउंटी का ऐलान करने से भारत की संप्रभुता पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह दावा पूरी तरह से अवैध है।” भारत ने इस मुद्दे पर राजनयिक माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई है।
चीन ने पिछले महीने इन काउंटियों की घोषणा की थी, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। भारत का कहना है कि लद्दाख का यह क्षेत्र देश का अभिन्न हिस्सा है और चीन के किसी भी कदम को मान्यता नहीं दी जा सकती।
ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का डैम, भारत ने जताई चिंता
चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है) पर दुनिया का सबसे बड़ा डैम बनाने की खबरों ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। इस परियोजना को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि डैम का असर ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों पर पड़ सकता है, जो भारत और बांग्लादेश के लिए गंभीर मुद्दा है।
रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने राजनयिक माध्यम से चीन को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि डैम से डाउनस्ट्रीम राज्यों के हितों को कोई नुकसान न पहुंचे।”
चीन का बचाव
चीन ने डैम परियोजना को सुरक्षित बताते हुए कहा है कि यह दशकों की रिसर्च के बाद मंजूर किया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि यह प्रोजेक्ट हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगा और चीन सीमावर्ती देशों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है।
हालांकि, विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने इस परियोजना को लेकर चिंताएं जाहिर की हैं। उनका कहना है कि भूकंप प्रभावित क्षेत्र में इतना बड़ा डैम बनाना खतरनाक साबित हो सकता है।
डैम पर खर्च होगा 137 अरब डॉलर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन इस डैम पर 137 अरब डॉलर खर्च करेगा। यह डैम न केवल बिजली उत्पादन में मदद करेगा, बल्कि चीन इसे रणनीतिक परियोजना के तौर पर भी देख रहा है।
भारत और बांग्लादेश दोनों ही इस डैम के संभावित प्रभावों को लेकर सतर्क हैं। वहीं, चीन का कहना है कि यह डैम क्षेत्र में हाइड्रोपावर विकास के लिए जरूरी है और इसका असर सकारात्मक रहेगा।