-देश की आजाद ी से पहले जन्म व सेना में हुए थे भर्ती झूंझुनू ं के गड़ाखेड़ा के इंद्राज सिंह –
झूंझुनूं ( मनोज टांक)
भारत चीन युध्द में अपने साहस औऱ शौर्य का परिचय देते हुए शहीद हुए जिले के गाड़ाखेड़ा लेफ्टिनेंट शहीद इंद्राज सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। मुख्य अतिथि सड़क एवं परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला, विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल एनसी मारवा, लेफ्टिनेंट जनरल जयप्रकाश नेहरा, लेफ्टिनेंट जनरल सतपाल कटेवा थे, जबकि अध्यक्षता सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनिया ने की। मंच पर 9 लेफ्टीडेंट जनरल उपस्थित थे, जिसमे दो लेफ्टीडेंट जनरल वर्तमान में ड्यूटी पर तैनात हैं।
इस दौरान बृजेंद्र ओला ने कहा कि झुंझुनू जिले ने देश की हिफाजत के लिए अनेक वीर योद्धा दिए हैं। जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देकर वीरगति को प्राप्त हो गए। आज भी सैकड़ों युवा सेना में जाने की तैयारी में लगे रहते हैं। सीमा पर दिन रात विपरीत परिस्थितियों में तैनात रहकर हमारे देश की हिफाजत करने वाले वीर बहादुर जवान हमारे लिए एक दीवार के रूप में काम करते हैं। सबसे बड़ी गौरव की बात है कि देश की सुरक्षा के लिए झुंझुनू जिले का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यहां की मिट्टी में शौर्य और जुनून का ऐसा जज्बा है कि यहां पैदा होने वाले वीर सबसे पहले सेना में जाने की ख्वाहिश रखते हैं। सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनिया ने कहा कि देश की सुरक्षा में बलिदान देने में हमारे बहादुर जवानों ने कसर नहीं छोड़ी है। यह हमारे लिए सबसे बड़े गर्व की बात है। देश की हिफाजत में अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे लिए पूजनीय होते हैं तथा हर मांगलिक व धार्मिक कार्य में इनका समरण होना जरूरी है। अतिथियों ने शहीद वीरांगना पार्वती देवी का भी सम्मान किया।
रामकिशन डारा, जयसिंह बराला, सूबेदार अजय खेदड़, सूबेदार इकरार अहमद, प्रमोद नेहरा, सूबेदार विद्याधर नेहरा, कैप्टन ओपप्रकाश महला, सूबेदार सुरेश अशोक डागर, आदि मौजूद रहे।
*देश की आजादी से पहले जन्म औऱ सेना में भर्ती*
शहीद लेफ्टिनेंट इंद्राज सिंह का जन्म 15 फरवरी 1926 को घोड़ा खेड़ा में तेजाराम के घर हुआ था। वर्ष 1943 मे वह सेना में भर्ती हुए तो उन्हें प्रशिक्षण के बाद राजरिफ मे तैनात किया गया। वर्ष 1962 मे इंद्राज सिंह ने अपनी बटालियन के साथ शांति सेना कांगो मे भी सेवाएं दी थी। जिसके कुछ समय बाद ही उनका चयन जरनल सर्विस कोर में सेकंड लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ। वर्ष 1962 में भारत का चीन के युद्ध के समय चीन की सेना ने उनकी टुकड़ी को घेर लिया। विकट परिस्थितियों में होने के बावजूद भी उन्होंने अपने जवानों का मनोबल नहीं टूटने दिया और चीनी सेना का डटकर मुकाबला किया। चीनी सेना का मुकाबला करने के दौरान 21 नवंबर 1962 को लेफ्टिनेंट इंद्राज सिंह देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
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