देश के सर्वोच्च दोनों सदन राजस्थानी चला रहे हैं यह गर्व की बात है,विधायक मैं और मेरा की जगह हम और हमारे सिद्धांत अपनाएं:द्रौपदी मुर्मू

Jaipur Rajasthan

जयपुर:-राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने कहा कि आज राजस्थान को इस बात का गर्व है कि देश के दोनों सदन राजस्थानी चला रहे हैं।  उन्होंने कहा कि विधायकों को मैं और मेरा नहीं बल्कि हम और हमारा सिद्धांत अपनाकर अपने जनप्रतिनिधित्व का कार्य पूरा करना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को विधानसभा में अपना संबोधन देते हुए कहा कि मुझे इस बात का भी गर्व है कि राष्ट्रपति भवन को बनाने में राजस्थान के  कारीगरों और यहां के पत्थरों का  योगदान रहा है।  उन्होंने कहा कि जयपुर कॉलम राष्ट्रपति भवन की महत्वपूर्ण स्तर है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राजस्थान 31 साल की गौरव इतिहास है और यह विधानसभा निश्चित तौर पर अपने जनप्रतिनिधियों को उनके विधानसभा क्षेत्र की हर समस्या को उठाने का मौका देती है । 

उन्होंने कहा कि अब कंप्यूटर का  युग है और इस आधुनिकीकरण में अब कोई भी जनप्रतिनिधि विधानसभा में क्या कुछ करता है उसकी जानकारी सीधे तौर पर उनके निर्वाचन क्षेत्र के रहने वाले लोगों को मिलती है पोनराम ऐसे में हम निर्वाचित प्रतिनिधियों का दायित्व भी पहले से अधिक हो गया है और उन्हें पारदर्शी तरीके से काम कर अपनी जनता के काम कर अपने विधानसभा क्षेत्र का विकास कराना चाहिए ।

राष्ट्रपति  द्रोपदी मुर्मू ने अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान से लेकर महाराणा प्रताप को याद किया और उन्होंने कहा कि उन्होंने देश के लिए जो कुछ किया वे निश्चित तौर पर आज भी याद किया जाता है। उन्होंने गोविंद गुरु को याद करते हुए कहा कि उनके बलिदान को आज पूरा देश याद रखता है जनजाति के कार्यों को भी उन्होंने याद किया और कहा कि प्रदेश के विकास में उनका भी बहुत बड़ा योगदान है।

सदन की मर्यादा को कायम रखते लोकतंत्र के सशक्तिकरण के लिए प्रभावी रूप में काम करें: कलराज मिश्र राज्‍यपाल कलराज मिश्र ने विधायकों से सदन की मर्यादा को कायम रखते लोकतंत्र के सशक्तिकरण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विधायिका यदि प्रभावी रूप में कार्य करती है तो उसका सीधा असर कार्यपालिका पर पड़ता है और कालान्तर में इससे जनता के हित से जुड़े मुद्दों, विकास कार्यों, जन—कल्याण योजनाओं को धरातल पर लाते हुए उनका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि भारतीय परंपराओं में आरम्भ से ही लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रही है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लम्बे अनुभव के आधार पर वह यह कह सकते हैं कि लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति जनता में ही निहित है जो जनप्रतिनिधियों को चुनकर भेजती है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में बैठे प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि जन विश्वास पर खरा उतरते हुए उनके सर्वांगीण विकास के लिए काम करें। राज्यपाल मिश्र ने विधायी दायित्वों की चर्चा करते हुए कहा कि संविधान में लोकसभा, राज्यसभा, विधानमंडलों के अंतर्गत चुने हुए प्रतिनिधियों को बहुत सारे अधिकार और विशेषाधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सदस्य प्रयास करें कि सदन निरर्थक बहस और आरोप—प्रत्यारोप लगाने का स्थान नहीं बने और वे अपने अधिकारों, विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए यहां जन—कल्याण से जुड़े मुद्दों को सार्थक रूप से उठाने का कार्य करें। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदन की बैठकें समय पर आहूत होनी चाहिए। एक ही सत्र को लम्बा नहीं चलाया जाए बल्कि सत्रावसान की कार्यवाही समुचित ढंग से यथासमय होनी चाहिए। सामाजिक विषमता कम करने की चुनौती को स्वीकार करें: डॉ. सीपी जोशी स्वागत उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की ही विशेषता है कि एक साधारण परिवार से आकर कोई देश के राष्ट्रपति के सर्वोच्च पर पर पहुंचता है। उन्होंने पहली बार राज्य विधानसभा में राष्ट्रपति के आगमन को एतिहासिक बताते हुए श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वागत किया। उन्होंने आजादी के बाद संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से देश और राज्य में हुए विकास की चर्चा करते हुए कहा कि लोकतंत्र जनता को समता और न्याय के लिए कार्य करने को प्रेरित करता है। उन्होंने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए सभी को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। डॉ. जोशी ने कहा कि संविधान में संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है उनके अनुसार हमें ऐसे कानून बनाने चाहिए जो देश और प्रदेश को आगे बढ़ाने का कार्य करें। उन्होंने कहा कि इस सदन के सदस्यों ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करते हुए राजस्थान के नव निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्ष में देश में राजनीतिक न्याय तो सुनिश्चित हुआ है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुएसामाजिक विषमता कम करने और सौहार्द बढ़ाने के लिए साथ मिलकर कार्य करने पर बल दिया।