Mumbai : कर्ज में डूबे अनिल अंबानी के लिए एक बुरी खबर है। दरअसल, आदित्य बिड़ला कैपिटल और निप्पॉन लाइफ के बीच विलय को लेकर चल रही बातचीत नाकाम हो गई है क्योंकि रिलायंस कैपिटल की जीवन बीमा इकाई आरएनएलआईसी में घटी हुई हिस्सेदारी पर रजामंदी नहीं बन पाई।
बता दें कि रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (आरएनएलआईसी) में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली जापानी कंपनी निप्पॉन लाइफ की मंशा रिलायंस निप्पॉन लाइफ और बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस के विलय की थी। बिड़ला सन लाइफ, आदित्य बिड़ला कैपिटल की ही एक इकाई है। वहीं आरएनएलआईसी दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही ऋणग्रस्त कंपनी रिलायंस कैपिटल की सब्सिडयरी है। रिलायंस कैपिटल अनिल अंबानी की कंपनी है।
सूत्रों के मुताबिक, इस संभावना को लेकर निप्पॉन लाइफ की आदित्य बिड़ला कैपिटल के साथ बात चल रही थी लेकिन विलय के बाद के सांगठनिक स्वरूप को लेकर सहमति नहीं बन पाई। खासकर आरएनएसआईसी में हिस्सेदारी घटकर 10 प्रतिशत रह जाने की संभावना पर उसे आपत्ति थी।
कहां आई दिक्कत: बीमा नियामक इरडा के निर्देशों के मुताबिक कोई भी कंपनी एक से अधिक जीवन बीमा इकाइयों का संचालन नहीं कर सकती है। इस वजह से बिड़ला सन लाइफ के प्रवर्तकों के आरसीएल के सफल बोलीकर्ता के रूप में उभरने की स्थिति में उसके लिए रिलायंस निप्पॉन लाइफ के साथ विलय करना एक बाध्यता हो जाएगी।