किरोड़ी ने लगाया 20 हजार करोड़ के घोटाले का आराेप:कहा- मंत्री महेश जोशी-IAS सुबोध अग्रवाल भ्रष्ट;कार्रवाई नहीं हुई तो फिर आएगी ईडी

Jaipur

जयपुर:-डीओआईटी (DoIT) घोटाले के बाद आज सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने जल जीवन मिशन में करीब 20 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है। किरोड़ी ने पीएचईडी विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल और अन्य अधिकारियों पर टेंडर में घोटाला करने का आरोप लगाया है।

वहीं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी की भी इसमें मिलीभगत भी बताई है। इसे लेकर किरोड़ी कल केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में ज्ञापन देंगे।

वे जयपुर स्थित भाजपा कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वे सुबोध अग्रवाल व पीएचईडी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ संबंधित थाने में मामला भी दर्ज करवाएंगे। किरोड़ी ने कहा कि इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई तो इस मामले की भी ईडी में शिकायत करेंगे।

शाहपुरा की चहेती फर्मों को मिला टेंडर

किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि पीएचईडी विभाग ने प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत शाहपुरा की अपनी चहेती दो फर्मों- गणपति ट्यूबवेल कंपनी और श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी को बीते दो सालों में फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर 1 हजार करोड़ से अधिक के टेंडर जारी किए।

फर्मों ने बनाए फर्जी सर्टिफिकेट

इन दोनों फर्मों ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फोरमेट की नकल करके उसी पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र तैयार करवाए। और इसी के आधार पर पीएचईडी विभाग से कार्य के आदेश प्राप्त कर लिए।

इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने 7 जून 2023 को अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल को भी पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कल सीवीसी के नोडल अधिकारी को सौपेंगे ज्ञापन

किरोडी लाल मीणा ने कहा कि इस पूरे घोटाले में आईएएस अधिकारी सुबोध अग्रवाल सहित पीएचईडी के अन्य अधिकारी शामिल हैं। ऐसे में यह मामला सीवीसी का बनता है।

भाजपा मंगलवार को सचिवालय में सीवीसी के नोडल अधिकारी को इस मामले में ज्ञापन सौंपेगी। वहीं अधिकारियों के खिलाफ संबंधित थाने में मामला भी दर्ज करवाएंगे।

किरोड़ी ने कहा कि 6 अक्टूबर 2021 से 24 नवंबर 2022 के बीच विभिन्न 11 कार्यों के लिए 48 निविदाएं आमंत्रित की गई थी। जिनका कुल मूल्य लगभग दस हजार करोड़ था। इस दौरान नियमों की अवहेलना करते हुए निविदा प्रीमियम और राज्य के हिस्से की राशि को कम करने के उद्देश्य से री-बिड पर ही बातचीत करने के स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए।

जिसमें निविदा प्रीमियम नियमानुसार 10 फीसदी से अधिक पाए गए। इसके अलावा इन सभी टैंडर्स में किसी भी तरह का कोई मोल भाव नहीं किया गया।

ताकि मालूम चले कौन सी कंपनियों ने भरा है टेंडर…

किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि अधिकारियों ने टेंडर में बिड से पहले साइट विजिट का प्रावधान रखा। जिससे अधिकारियों को यह पता चल जाए कि कौन-कौन सी कंपनियां टेंडर लगा रही हैं। वहीं सभी कंपनियों को भी इसमें पूल बनाने का मौका मिलता है।

इन दोनों फर्मों को भी पूलिंग के चलते तीस से चालीस प्रतिशत तक लागत बढ़ाने का मौका मिल गया। इस तथ्य को पीएचईडी विभाग की फाईनेंस कमेटी ने स्वीकृत भी कर दिया। किरोड़ी ने कहा कि यह पूरा कृत्य आरटीपीपी नियमों के खिलाफ था।

लेकिन इसके बावजूद जानबूझकर कंपनियों को पूल बनाने का मौका दिया गया।