मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने सब इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि मंत्रियों की कमेटी बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा और इस परीक्षा को रद्द करना ही उचित होगा। उनका कहना है कि एडवोकेट जनरल की राय के अनुसार भी परीक्षा रद्द होनी चाहिए, और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया है जो पेपर लीक होने पर परीक्षा रद्द करने की बात करते हैं।
किरोड़ी ने कहा कि वह सीएम को इस मामले में कई बार अपनी चिंताओं से अवगत करा चुके हैं, लेकिन कैबिनेट में बनी कमेटी पर उन्हें संदेह है। उन्होंने फर्जी डॉक्टरों के मामले में मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार को सिर्फ सस्पेंड करने पर भी सवाल उठाए और यह कहा कि ऐसा करना पर्याप्त नहीं है। उनका तर्क है कि आम लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है, जबकि असली दोषियों को बचाने के लिए लीपापोती की जा रही है।
किरोड़ी ने सीएम से व्यक्तिगत बातचीत करने की योजना बनाई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि गंभीर मामलों को अधिकारी क्यों दबा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की यह निष्क्रियता केवल उसे बदनाम करने का काम कर रही है। उनके अनुसार, भर्ती परीक्षा की कमेटी में अगर विशेषज्ञ होते तो मामले की जांच बेहतर तरीके से की जा सकती थी।
इस बयान से यह स्पष्ट है कि किरोड़ीलाल मीणा अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों की लापरवाही को लेकर बेहद चिंतित हैं और वे सरकार से सख्त कदम उठाने की अपेक्षा कर रहे हैं। उनका यह रुख आने वाले चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा कि जब एक मंत्री यह कहता है कि सरकार का मुखिया “लीपापोती” कर रहा है, तो इसका गंभीर अर्थ है। डोटासरा ने मुख्यमंत्री की निर्णय क्षमता पर उठाए गए सवालों को भी महत्वपूर्ण बताया और पूछा कि आखिर मुख्यमंत्री इतने “लाचार और मजबूर” क्यों हैं।
डोटासरा ने यह भी कहा कि अगर एसओजी और मंत्री इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से बोल रहे हैं, तो मुख्यमंत्री को SI भर्ती परीक्षा को रद्द करने से कौन रोक रहा है। उनके अनुसार, जब मंत्री खुद ही सरकार के निर्णयों से संतुष्ट नहीं हैं, तो युवा कैसे विश्वास करेंगे कि सरकार उनके हित में काम कर रही है।
इस तरह के बयान न केवल सत्ता के भीतर की असहमति को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। डोटासरा का यह तंज मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर सवाल उठाने के साथ-साथ सरकार की नीतियों पर युवा वर्ग की बढ़ती चिंता को भी दर्शाता है। यह स्थिति आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है।