लोन महंगे नहीं होंगे,आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी:ब्याज दरों में लगातार 5वीं बार बदलाव नहीं,RBI ने 6.5% पर रेपो रेट बरकरार रखी

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मुंबई:-भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 5वीं बार ब्याज दरों बदलाव नहीं किया है। RBI ने ब्याज दरों को 6.5% पर जस का तस रखा है। यानी लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थी।

वहीं पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ाई गई थी। 6 दिसंबर से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास आज यानी शुक्रवार को दी। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी।

RBI की MPC में छह सदस्य होते हैं। इसमें बाहरी और RBI अधिकारी दोनों होते हैं। गवर्नर दास के साथ, RBI के अधिकारी राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, और माइकल देबब्रत पात्रा, डिप्टी गवर्नर के रूप में कार्यरत हैं। जबकि शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं।

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने 3 और फैसले लिए हैं

  • RBI ने भारत में फाइनेंशियल सेक्टर के लिए डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी बढ़ाने के लिए क्लाउड फैसिलिटी स्थापित करने पर काम कर रहा है।
  • RBI ने अस्पतालों और शिक्षा से संबंधित पेमेंट के लिए UPI लेनदेन की सीमा 1 लाख रुपए प्रति ट्रांजैक्शन से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का फैसला लिया है।
  • RBI ने लोन प्रोडक्ट के वेब एग्रीगेशन के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करने और एक फिनटेक डिपॉजिटरी स्थापित करने का निर्णय लिया है। इससे डिजिटल लोन देने में अधिक पारदर्शिता आएगी।

महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है रेपो रेट
RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा।

बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

इसे उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

RBI ने महंगाई और GDP अनुमान भी जारी किया

  • FY24 में रियल GDP ग्रोथ अनुमान को 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया है।
  • FY24 में रिटेल महंगाई के अनुमान को RBI ने 5.40% पर बरकरार रखा है।

जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?

1. अक्टूबर में रिटेल महंगाई 6.83%
सब्जियों के दाम घटने से अक्टूबर में रिटेल महंगाई घटकर 4.87% पर आ गई है। यह रिटेल महंगाई का 5 महीने का निचला स्तर है। सितंबर में ये 5.02% रही थी। वहीं खाने-पीने की चीजों की महंगाई 6.62% से कम होकर 6.61% पर आ गई है।

2. थोक महंगाई दर -0.52% रही थी
खाने-पीने के सामानों में गिरावट के बीच अक्टूबर महीने में भारत की थोक महंगाई दर घटकर -0.52% पर आ गई थी। यह लगातार सातवां महीना था जब थोक महंगाई शून्य से नीचे रही थी। इससे पहले सितंबर में थोक महंगाई -0.26% थी। वहीं अगस्त में यह -0.52% थी।

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।