लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां वापस ले ली हैं। एक साल में दूसरी बार उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी पद से हटा दिया गया। लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में उन्होंने ऐलान किया कि जीते जी किसी को उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी।
पार्टी पहले, परिवार बाद में: मायावती
मायावती ने कहा कि बसपा उनके लिए पहले है, परिवार बाद में। उन्होंने पार्टी को आंतरिक कलह और गुटबाजी से बचाने के लिए यह फैसला लिया। मायावती ने दो नए नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए हैं—आकाश के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम।
आकाश के ससुर पर गंभीर आरोप
मायावती ने आकाश आनंद को हटाने के पीछे उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि अशोक सिद्धार्थ पार्टी को गुटों में बांट रहे थे, इसलिए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। मायावती ने कहा कि अब देखना होगा कि उनकी बेटी (आकाश की पत्नी) अपने पिता के विचारों से कितनी प्रभावित होती हैं।
बसपा की गिरती सियासी पकड़
कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाली बसपा 2007 में 206 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सिर्फ 1 सीट पर सिमट गई। वहीं, 2019 लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली बसपा 2024 में खाता भी नहीं खोल पाई।
क्या फिर वापसी कर पाएगी बसपा?
मायावती ने साफ किया कि बसपा अकेले अपने दम पर बीजेपी और सपा जैसी पार्टियों को टक्कर दे सकती है। उन्होंने समाजवादी पार्टी को बीजेपी का ‘अन्य पहलू’ बताते हुए उस पर हमला बोला।
बसपा अब एक बार फिर अपना पुराना दबदबा वापस पाने की कोशिश में जुटी है। लेकिन आकाश आनंद को दो बार उत्तराधिकारी बनाकर हटाने के फैसले ने पार्टी में नेतृत्व को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।