आतंक तो आतंक है, पैंतरेबाजी से जायज नहीं कह सकते… जयशंकर ने नाम लिए बगैर चीन- पाक को धोया

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New Delhi : नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद पर नाम लिए बगैर पड़ोसी पाकिस्तान और उसके हमदर्द चीन को खरी-खोटी सुनाई। एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो देश अपनी विदेश नीति में आतंकवाद का समर्थन करते हैं उन्हें इसकी कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। शनिवार को जयशंकर ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के रूप में इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति कुछ देशों में अब भी बनी हुई है और दूसरे उसे जस्टिफाई करने की कोशिश करते हैं। इसके चलते हाल के वर्षों में आतंकवाद से पैदा हुए खतरे के स्तर और तीव्रता में वृद्धि हुई है। विदेश मंत्री जयशंकर टेरर फंडिंग के खिलाफ आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान को इस बैठक में नहीं बुलाया गया था। चीन को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसने हिस्सा नहीं लिया।

उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए एक एकसमान और ठोस दृष्टिकोण की वकालत की और कहा कि दुनियाभर के देशों को इस खतरे से निपटने के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। जयशंकर ने कहा, ‘आतंक तो आतंक है और राजनीतिक पैंतरेबाजी से इसे कभी सही नहीं ठहराया जा सकता। दुनिया को इस संकट से निपटने के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने की जरूरत है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई हर मोर्चे पर, हर स्थिति में और हर जगह डटकर लड़ी जानी चाहिए।’

जयशंकर का स्पष्ट रूप से इशारा पाकिस्तान और चीन की तरफ था। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया। पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठनों के कमांडरों को ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित करने की यूएन की कोशिशों पर चीन हमेशा अड़ंगा लगाता रहा है। उन्होंने भारत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा, ‘जब आतंकवाद की बात आती है, तो हम कभी पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे, हम कभी समझौता नहीं करेंगे और न्याय सुनिश्चित करने के अपने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे।’

भारतीय विदेश मंत्री ने बेबाक तरीके से कहा कि फेक चैरिटी और फेक एनजीओ आज के समय में टेरर फंडिंग का सोर्स बन चुके हैं, ऐसे में इन पर अंकुश लगाना जरूरी हो गया है। उन्होंने हर तरह के हथियारों और आतंकियों से जुड़ी सामग्रियों की आपूर्ति पर रोक लगाने का आह्वान किया, साथ ही उन देशों का सहयोग करने की बात कही, जहां या जिन नागरिकों के खिलाफ आतंकी गतिविधियां की जाती हैं। उन्होंने कहा कि भारत समान सोच वाले पार्टनर देशों के साथ आतंकवाद के खिलाफ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता को खतरा है।

विदेश मंत्री ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी अध्यक्षता के तहत भारत 15 दिसंबर को ‘आतंकी गतिविधियों के चलते अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित करेगा। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है क्योंकि हाईटेक तकनीक हासिल करने में आतंकियों का रुझान बढ़ा है। कट्टरपंथी विचारधारा उनके उकसाने वाले संदेशों के जरिए तेजी से फैलती है।

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