New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद भाषण दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा- 75वां गणतंत्र दिवस, संसद का नया भवन, सेंगोल की अगुआई। ये सारा दृश्य अपने आप में बहुत ही प्रभावी था।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष को लेकर कहा- मैंने जब यहां से देखा, तो वाकई इस नए सदन में राष्ट्रपति जी की अगवानी का दृश्य सुखद था। 60 से ज्यादा सदस्य ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विचार व्यक्त किए। मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं। विशेष रूप से विपक्ष ने जो संकल्प लिया है। उसकी सराहना करता हूं।
PM ने कहा- विपक्ष की एक-एक बात से मेरा और देश का विश्वास पक्का हो गया है। मैंने लंबे समय तक वहां नहीं रहने का संकल्प लिया है। विपक्ष कई दशक तक जैसे यहां (सत्ता) बैठे थे, वैसे कई दशक तक वहां (विपक्ष) बैठने का संकल्प लिया है। जिस पर आप मेहनत कर रहे हैं, ईश्वर रूपी जनता आपको जरूर आशीर्वाद देगी। आप अगले चुनाव में दर्शक दीर्घा में दिखेंगे।
मैं देख रहा हूं आप में से बहुत लोग चुनाव लड़ने का हौसला भी खो दिए हैं। मैंने सुना है सीट बदलने की तैयारी में है। बहुत से लोग लोकसभा की जगह राज्यसभा में जाने वाले हैं।
राष्ट्रपति का भाषण एक प्रकार से तथ्यों के आधार पर, हकीकत के आधार पर एक बहुत बड़ा दस्तावेज है। जो देश के सामने राष्ट्रपति जी लाती हैं। इस पूरे दस्तावेज को आप देखेंगे तो उस हकीकत को समेटने का प्रयास किया है, जिससे देश स्पीड से प्रगति कर रहा है। किस तेजी के साथ गतिविधियों का विस्तार हो रहा है, उसका लेखा जोखा राष्ट्रपति जी ने दिया।
राष्ट्रपति ने चार मजबूत स्तंभों का उल्लेख किया है। नारी शक्ति, युवा शक्ति, गरीब और किसान, मछुआरे और पशुपालक। इनके सशक्तीकरण से देश विकसित भारत बनेगा। अधीर रंजन ने कहा- माइनॉरिटी कहां है तो मोदी बोले- आपके यहां नारी, युवा, गरीब, किसान और मछुआरे शायद माइनॉरिटी नहीं होती क्या? कब तक देश को टुकड़ों में देखोगे।
परिवारवाद का खामियाजा देश और कांग्रेस दोनों ने उठाया
आपकी सोच की मर्यादा देश को दुखी करती है। जनता कहती है कि आपके नेता तो बदलते हैं, टेप रिकॉर्डर वही है। नई बात सामने नहीं आती। पुरानी डफली, पुराना राग। चुनाव का टाइम है। कुछ तो अच्छा करते। आज विपक्ष की जो हालत है, इसकी दोषी कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस केा एक अच्छा विपक्ष बनने का अवसर मिला। 10 साल में कई मौके मिले होंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं।
न खुद ऐसा किया, न दूसरे उत्साही युवा सांसदों को ऐसा करने दिया। यंग जनरेशन को इसलिए मौका नहीं दिया कि किसी और का चेहरा न दब जाए। देश को एक अच्छे और स्वस्थ्य विपक्ष की बहुत जरूरत है। देश ने जितना परिवारवाद का खामियाजा उठाया है, उतना ही खामियाजा कांग्रेस ने भी उठाया है।
हालत देखिए खड़गे जी इस सदन से उस सदन में शिफ्ट हो गए। गुलाम नबी जी पार्टी से ही शिफ्ट कर गए। ये सब परिवारवाद के चक्कर में शिफ्ट हुए। ये सब एक ही प्रोडक्ट को लॉन्च करने के चक्कर में दुकान को ताला लगने की नौबत आ गई।
शाह-राजनाथ के परिवार की कोई पार्टी नहीं
हम किस परिवारवाद की बात कर रहे हैं। अगर किसी परिवार ने अपने बलबूते पर तरक्की की है, तो हम उसका विरोध नहीं करते। हम उस परिवारवाद का विरोध करते हैं, जो परिवार पार्टी चलाता है। पार्टी के सारे फैसले परिवार लेता है। अमित शाह के परिवार की पार्टी नहीं है, राजनाथ के परिवार की भी कोई पार्टी नहीं है। देश के लोकतंत्र के लिए परिवारवाद की राजनीति चिंता का विषय है।
कांग्रेस एक परिवार में उलझ गई
किसी परिवार के दो लोग तरक्की करें तो स्वागत है, 10 लोग तरक्की करें तो स्वागत है। लेकिन परिवार ही पार्टी चलाए। उसका बेटा ही अध्यक्ष बने, इसका विरोध होना चाहिए। कांग्रेस एक परिवार में उलझ गई। देश के करोड़ों परिवार की आकांक्षाएं और उपलब्धियां वे देख नहीं सकती।
कांग्रेस में एक कैंसिल कल्चर डेवलप हुआ है। हम कहते हैं मेक इन इंडिया तो वे कहते हैं, कैंसिल, वंदेभारत, आत्मनिर्भर भारत, नई संसद। कांग्रेस कहती है कैंसिल। ये मोदी की उपलब्धि नहीं, देश की उपलब्धि है।
तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनेगा
भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था को दुनिया सराह रही है। जी20 में दुनिया ने देखा है कि पूरा विश्व भारत के लिए क्या सोचता है। इस 10 साल के अनुभव के आधार पर, इस मजबूत अर्थव्यवस्था को देखते हुए मैं विश्वास से कह सकता हूं। हमारे तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनेगा। ये मोदी की गारंटी है।
जब हम दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की बात कहते हैं तो विपक्षी कुतर्क देते हैं, कहते हैं वो तो अपने आप हो जाएगा। सरकार की भूमिका क्या होती है देश और युवाओं काे बताना चाहता हूं कि होता कैसे है।
2014 में 11वीं अर्थ व्यवस्था होने पर गर्व है, 5वीं पर नहीं
10 साल पहले 2014 में फरवरी महीने में जो अंतरिम बजट आया था उस समय कौन थे, सबको पता है। उस बजट को पेश करते वक्त तब के वित्त मंत्री ने कहा था- आई नाउ विश टू लुक फॉरवर्ड हाउ मैनी। 2014 पर 11वीं अर्थ व्यवस्था होने पर गर्व है। आज 5वीं अर्थ व्यवस्था होने पर भी खुशी नहीं है।
ये लोग 2014 में कहते थे- 2044 तक हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनेंगे। ये लोग सपना देखने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते। मैं विश्वास दिलाता हूं। तीस साल नहीं लगेंगे। मोदी की गारंटी है, मेरे तीसरे कार्यकाल में देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगी। आपको अगर 11 वें नंबर पर पहुंचने की खुशी है तो पांचवे पर पहुंचने की भी खुशी होनी चाहिए। ये देश की उपलब्धि है।
कांग्रेस की सुस्त रफ्तार का कोई मुकाबला नहीं
हमारे काम की स्पीड और हमारा हौसला आज दुनिया देख रही है। उत्तर प्रदेश में एक कहावत है- नौ दिन चले अढाई कोस। ये कहावत कांग्रेस को परिभाषित करती है। कांग्रेस की सुस्त रफ्तार का कोई मुकाबला नहीं। हमने गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए। शहरी गरीबों के लिए 80 लाख पक्के मकान बने।
कांग्रेस की रफ्तार से ये घर बने होते तो 100 साल लगते इतना काम करने में। 5 पीढ़ियां गुजर जातीं। 10 साल में 40 हजार किलोमीटर रेलवे ट्रैक का इलेक्ट्रीकरण हुआ। कांग्रेस को 80 साल लगते, 4 पीढ़िया गुजर जातीं। 4 करोड़ गैस कनेक्शन दिए। कांग्रेस को 60 साल लगते, 3 पीढ़ियां गुजर जाती। हमारी सरकारी में सेनिटेशन 40 से 100 परसेंट पर पहुंचा। कांग्रेस को 60 साल लग जाते।
कांग्रेस ने देश के सामर्थ्य पर कभी विश्वास नहीं किया
कांग्रेस ने देश के सामर्थ्य पर कभी विश्वास नहीं किया। वे अपने आपको शासक मानते रहे, और जनता को छोटा मानते रहे। देश के नागरिकों के लिए वे कैसा सोचते थे, 15 अगस्त लाल किले पर पीएम नेहरू ने कहा था- हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत आमतौर पर नहीं है। हम इतना काम नहीं करते हैं, जितना जापान, चीन, रूस, अमेरिका वाले करते हैं।
ये ना समझिए वे कौमें किसी जादू से खुशहाल हो गईं, वे अपनी मेहनत से हुई हैं। यानी नेहरू जी की भारतीयों के प्रति सोच थी कि भारतीय आलसी और कम अकल के हैं। इंद्रा जी की सोच भी उससे ज्यादा अलग नहीं थी।
इंद्रा जी ने लाल किले से 15 अगस्त को कहा था- दुर्भाग्यवश हमारी आदत यह है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को होता है, तो हम आत्मतृप्त हो जाते हैं, कठिनाई आने पर नाउम्मीद हो जाते हैं। कभी कभी तो लगता है कि पूरे राष्ट्र ने पराजय भाव को अपना लिया है।
एक परिवार के आगे कांग्रेस कुछ नहीं सोच पाई
आज भी कांग्रेस में वही सोच देखने को मिलती है। कांग्रेस का विश्वास हमेशा सिर्फ एक परिवार पर रहा। एक परिवार के आगे न वे कुछ सोच सकते हैं। न देख सकते हैं। कुछ दिन पहले भानुमति का कुनबा जोड़ा, लेकिन फिर एकला चलो रे।
कांग्रेस के लोगों ने नया-नया मोटर मैकेनिक का काम सीखा है, इसलिए एलाइन्मेंट क्या होता है, इसका ज्ञान तो हो गया होगा। लेकिन एलाइन्स का एलाइन्मेंट बिगड़ गया। देश की जनता ने जब हमें पहली बार मौका दिया तब हम गड्ढे भरते रहे।
दूसरे कार्यकाल में हम ने विकसित भारत की नींव रखी। तीसरे कार्यकाल में हम उज्ज्वल भारत बनाएंगे। जिन उपलब्धियों का देश इंतजार कर रहा था, वो सब हमने दूसरे कार्यकाल में पूरे होते देखे। हम सबने 370 खत्म होते देखा। इन्हीं सांसदों के सामने उनके वोट की ताकत से 370 गया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम दूसरे कार्यकाल में बना। अंतरिक्ष से ओलिंपिक तक, संसद से लेकर सशस्त्र बल तक नारी शक्ति का सशक्तीकरण देश ने देखा।