चेन्नई:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली पहुंचे। PM ने श्रीरंगम के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। वे इस मंदिर में जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने यहां अंदल नाम के हाथी को गुड़ खिलाया और आशीर्वाद लिया।
PM मोदी रंगनाथस्वामी मंदिर में दर्शन के बाद श्री रामायण पारायण कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस आयोजन में 8 अलग-अलग पारंपरिक मंडलियां राम की अयोध्या वापसी के प्रसंग का वर्णन करेंगी। ये मंडलियां संस्कृत, अवधी, कश्मीरी, गुरुमुखी, असमिया, बंगाली, मैथिली और गुजराती रामकथाओं का पाठ करेंगी।
प्रधानमंत्री दोपहर करीब 2 बजे रामेश्वरम पहुंचेंगे और श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे। इसके बाद वे भजन संध्या में भी शामिल होंगे। श्री रंगनाथस्वामी और रामेश्वरम मंदिर भगवान राम के जीवन से जुड़े हैं।
22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले प्रधानमंत्री उन मंदिरों में दर्शन कर रहे हैं, जिनका रामायण में जिक्र है। मंदिरों की यात्रा के दौरान PM मोदी उस क्षेत्र की भाषाओं जैसे मराठी, मलयालम, तमिल और तेलुगु में रामायण पाठ के कार्यक्रम में भाग लेते हैं।
क्यों खास है रंगनाथस्वामी मंदिर
त्रिची के श्रीरंगम में बना श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण विजयनगर काल (1336-1565) के दौरान किया गया था। इस मंदिर का उल्लेख पुराणों समेत कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
यह अपनी स्थापत्य कला और गोपुरम के लिए मशहूर है। यहां पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रंगनाथ स्वामी हैं, जो भगवान विष्णु का लेटा हुआ रूप हैं। तमिल कवि कंबन ने यहां पहली बार कम्ब रामायणम को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया था।
क्यों खास हैं रामनाथस्वामी का मंदिर
इस मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रामनाथस्वामी हैं, जो भगवान शिव का एक रूप हैं। यह मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना और पूजा श्री राम और माता सीता ने की थी। यह मंदिर सबसे लंबे गलियारे में से एक है, जो अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
पीएम मोदी का 21 जनवरी का शेड्यूल
21 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी धनुषकोडि के कोदंडारामस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे। इसके बाद वे धनुषकोडी के पास अरिचल मुनाई भी जाएंगे, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं पर राम सेतु का निर्माण हुआ था। यह मंदिर, श्री कोदंडाराम स्वामी को समर्पित है।
कोदंडारामा नाम का अर्थ धनुषधारी राम है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर विभीषण पहली बार श्री राम से मिले थे और उनसे शरण मांगी थी। कुछ किवदंतियां यह भी कहती हैं कि यही वह जगह है जहां श्री राम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था।