जयपुर:-आमजन को सुविधा देने और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से बचाने के लिए शुरू हुई ऑनलाइन सेवा का फायदा आमजन को नहीं मिल रहा है। जयपुर नगर निगम ग्रेटर की बात करें तो यहां 9 सर्विस ऑनलाइन है, जिनमें कुल 14 हजार से ज्यादा आवेदन आए हैं। लेकिन अब तक उनमें से 25 फीसदी मामले ऐसे हैं, जो पेंडिंग चल रहे हैं। 36 फीसदी ऐसे मामले है, जिन आवेदनों को विभाग ने रिजेक्ट कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा मामले पट्टे से संबंधित हैं। पट्टे के लिए आए कुल आवेदनों में से 63 फीसदी तो रिजेक्ट ही कर दिए। वहीं, 25 फीसदी मामले पेंडिंग चल रहे है।
हाल ही में नगर निगम ग्रेटर की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट देखें तो फायर एनओसी, ट्रेड लाइसेंस, ट्रेड लाइसेंस रिनुएवल, नाम ट्रांसफर, लीजडीड (पट्टा), पुनर्गठन-उपविभाजन, सीवर, मोबाइल टावर, बिल्डिंग प्लान के कुल 14 हजार 324 आवेदन आए। इन आवेदनों में से 3 हजार 472 आवेदकों को अब भी अपने काम पूरे होने का इंतजार है, क्योंकि ये किसी न किसी कारण से विभाग में पेंडिंग पड़े है।
63 फीसदी पट्टे के प्रकरण रिजेक्ट
नगर निगम ने इन सभी प्रकरणों में 36 फीसदी यानी 5129 मामले तो रिजेक्ट कर दिए हैं। इसमें सबसे ज्यादा मामले तो जमीन, मकानों के पट्टों के है। पट्टे के लिए निगम में इस साल 4433 आवेदन आए, जिनमें से 2812 मामले तो निगम ने रिजेक्ट ही कर दिए, जो 63 फीसदी से ज्यादा। वहीं 1085 मामले जो है वह पेंडिंग चल रहे है, जो कुल आवेदनों का करीब 25 फीसदी है। केवल 536 मामले ही अब तक अप्रूव्ड किए है। इसके बाद दूसरा नंबर फायर एनओसी का आता है, जहां कुल 4286 मामलों में से 1092 मामले रिजेक्ट कर दिए गए।
पुर्नगठन-उपविभाजन का एक भी केस क्लीयर नहीं
जमीन-मकानों के उपविभाजन और पुर्नगठन के जो आवेदन आए है, उनमें से एक भी आवेदन स्वीकृत नहीं हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक 167 लोगों ने आवेदन किए है, जिसमें से 29 आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया। वहीं 121 प्रकरण विभाग के स्तर पर जबकि 17 मामले आवेदक के द्वारा दस्तावेज सम्पूर्ण जमा नहीं करवाने या अन्य कारण से पेंडिंग पड़े है।