प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नवी मुंबई में एशिया के दूसरे सबसे बड़े इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन किया। 9 एकड़ में फैले इस मंदिर को आधुनिकता और परंपरा का संगम बताया गया। इस दौरान पीएम ने कहा कि भारत को समझने के लिए यहां के अध्यात्म को आत्मसात करना जरूरी है। उन्होंने सेवा को सच्चे सेक्युलरिज्म और सामाजिक न्याय का प्रतीक बताया।
पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें
1. सरकार भी इस्कॉन की सेवा भावना के साथ काम कर रही
प्रधानमंत्री ने इस्कॉन की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी सरकार भी सेवा के इसी आदर्श पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “सेवा ही सच्चे सेक्युलरिज्म का प्रतीक है।” पीएम ने कृष्णा सर्किट प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए बताया कि यह सर्किट गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के धार्मिक स्थलों को जोड़ रहा है। वृंदावन के 12 जंगलों का प्रतिरूप भी तैयार किया जा रहा है।
2. प्रभुपाद जी का योगदान और उनके साथ जुड़ी यादें
पीएम मोदी ने इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपाद स्वामी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा था, तब प्रभुपाद जी ने इस्कॉन जैसा मिशन शुरू किया। उनका मेरे जीवन में विशेष स्थान है।” पीएम ने इस्कॉन की सबसे बड़ी गीता के संस्करण के लोकार्पण से जुड़ी अपनी यादें भी साझा कीं।
3. इस्कॉन ने दुनिया को जोड़ा
प्रधानमंत्री ने इस्कॉन के अनुयायियों की एकजुटता की तारीफ करते हुए कहा कि इस्कॉन ने दुनिया भर के लोगों को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति के सूत्र से जोड़ा है। उन्होंने कहा, “श्रीला प्रभुपाद स्वामी ने वेद, वेदांत और गीता को जनसामान्य की चेतना से जोड़ा और भक्ति वेदांत को आगे बढ़ाया।”
मंदिर की खासियतें
इस मंदिर में रामायण और महाभारत के म्यूजियम बनाए जा रहे हैं। इसे अध्यात्म और भारतीय परंपरा का केंद्र बताया जा रहा है। पीएम ने इसे भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक कहा।
यह उद्घाटन इस्कॉन की सेवा, भक्ति और अध्यात्म को लेकर देश-दुनिया में इसके बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है।