प्रभारी रंधावा जी किस की रणनीति पर कर रहे काम,कई विधायकों ने उठाए सवाल

Jaipur Politics Rajasthan

जयपुर:-कांग्रेस के टिकट वितरण में किसको मिले अधिकार इसी को लेकर रणनीति बनाने का काम तेज हो गया है। कर्नाटक चुनाव से पहले राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा ने विधायकों से रूबरू होने का कार्यक्रम तय किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी शामिल किया गया। कहने को तो सभी विधायकों से सीधे तौर पर बातचीत होने थी, लेकिन 108 विधायक ही इस कार्यक्रम में पहुंच पाए। दो मंत्री सहित 14 विधायक फीडबैक देने नहीं पहुंचे। रूबरू कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट हर विधायक को सौंपी गई और उनसे कहा गया कि उनकी स्थिति के बारे में अपडेट खुद ही बताएं। इस रूबरू कार्यक्रम में 60 विधायकों को संकेत दिए गए कि उनकी स्थिति ठीक नहीं है आने वाले समय में यही हाल रहा तो टिकट नहीं मिलेगा। 

कांग्रेस के प्रभारी कि इस रणनीति के माध्यम से यही संदेश देने का काम किया कि प्रभारी रंधावा और  सीएम गहलोत की टिकट देने में अहम भूमिका रहेगी। ऐसे में विधायक अपनी स्थिति को सुधारने के लिए उनके कहे गए कामों को पूरा करें। प्रभारी रंधावा के माध्यम से कांग्रेस और उसके समर्थित विधायकों को इस रूबरू के कार्यक्रम में बुलाया गया था। सभी को 13  प्रशन उपलब्ध कराए गए थे और उनका विचार लिखित तौर पर भी मांगा गया। इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि कई विधायकों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमें टिकट नहीं चाहिए। इस नई स्थितियों को लेकर प्रभारी रंधावा, सीएम गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी चौक गए। यह रिपोर्ट हाईकमान तक पहुंचेगी तो क्या होगा यह तो तीनों नेता ही बता सकते हैं !

प्रभारी रंधावा और शासन प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद भी जलदाय मंत्री डॉक्टर महेश जोशी, पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, विधायक सचिन पायलट, दीपेंद्र सिंह शेखावत, भरत सिंह कुंदनपुर, परसराम मोरदिया, मीना कवर, उमेद सिंह हाकम अली, हीराराम बिलाड़ा, निर्दलीय समर्थित विधायक में बलजीत यादव और रामकेश मीणा इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।

 डॉ. महेश जोशी ने पत्नी बीमार होने का कारण बताया हाकम अली ने कहा कि मैं हज से आज ही लौटा हूं। मीना कंवर ने कहा कि मैं वायरल से पीड़ित हूं और उमेद सिंह ने कहा कि मेरे परिवार में मौत हो रखी है।

सीएम गहलोत दावा कर रहे हैं कि प्रभारी रंधावा के अनुरूप सर्वे कराया गया है। लेकिन सर्वे किस एजेंसी के माध्यम से कराया गया और किन लोगों को शामिल किया गया यह स्पष्ट नहीं आ पा रहा है, कई विधायक तो यह कहते हुए नजर आए की सर्वे हमारे विधानसभा क्षेत्र में कराया गया। लेकिन हमें पूछा ही नहीं गया तो आखिर सर्वे क्यों किया गया कैसे किया गया क्या अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कोई निर्णय था या फिर कोई रणनीति का।

सीएम गहलोत ने यह भी ऐलान कर दिया कि हर महीने 200 विधानसभा क्षेत्रों का सर्वे कराया जाएगा। इस सर्वे के आधार पर आने वाले समय में टिकट देने का निर्णय होगा हर विधायक को उसकी कमियां बता कर उसे दूर करने के लिए सक्रिय किया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि गत चुनाव में हारे गए 40 से अधिक विधायकों को टिकट नहीं मिलेगा। लेकिन यहां यह बात भी सही है कि समर्थित विधायकों को टिकट देने का निर्णय कौन करेगा यह स्पष्ट नहीं है। प्रभारी रंधावा को कांग्रेस के हारे हुए 19 नेताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि कांग्रेस को हराने वालों को तर्जी मिल रही है तो फिर उनका क्या होगा इसको कौन समझाए। 

प्रभारी रंधावा जी आपको अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि के रूप में भेजा है आप उन्हीं के अनुरूप पार्टी को मजबूत करने का काम करो किसी एक तरफा रणनीति का हिस्सा मत बनो नहीं तो आप पर भी सवाल उठेंगे और आपका भविष्य सुरक्षित रहेगा या नहीं रहेगा यह तो आलाकमान ही तय करेगा। यह बात भी सही है कि राजस्थान में अब तक दो प्रभारी बदले जा चुके हैं और तीसरे प्रभारी पर भी अगर पक्षपात का आरोप लगने लगा है तो आप ही बताइए कि यह सब कार्यक्रम पार्टी के हित में रहेंगे या नहीं रहेंगे इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रभारी रंधावा ने विधायकों  से रूबरू होने के कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से स्पष्ट तौर पर बातचीत नहीं की पूरी तौर पर कहा कि अभी हम देख रहे हैं और आने वाले समय में कुछ और कार्यक्रम करके पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे। वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट ने सीधे तौर पर प्रभारी रंधावा को यह स्पष्ट जता दिया कि उनके रूबरू कार्यक्रम में कोई दम नहीं है। वे जिस प्रकार से कर रहे हैं उससे पार्टी मजबूत नहीं होगी बल्कि बिखराव की स्थिति पैदा होगी। 

प्रभारी रंधावा को अकेले में विधायकों से उनकी बात सुननी चाहिए थी। पर 3 दिन तक सीएम गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा की मौजूदगी में जो कुछ हुआ उससे बहुत सारे सवाल पैदा हुए हैं। गोविंद सिंह डोटासरा ने कई विधायकों पर छींटाकशी  कर यह जता दिया कि वह पुरानी बात को जिंदा रखना चाहते हैं। 

प्रभारी रंधावा जी कहते हैं कि मैं वर्तमान की बात करता हूं बीते हुए कल को याद नहीं रखना चाहता। उन्हें पता है कि बीते हुए कल की बात करूंगा तो निश्चित तौर पर 25 सितंबर की बगावत का जवाब मुझे देना पड़ेगा इससे बचने के लिए वे मौजूदा स्थिति की बात करते हैं और कहते हैं कि आज मैं प्रभारी हूं मेरे अनुसार ही काम होंगे। 

लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि हाईकमान जिसे भी दायित्व देता है वही अधिक शक्तिशाली हो जाता है उन्होंने कमलनाथ पर सवाल उठा कर जता दिया कि वे केंद्रीय नेतृत्व के अनुरूप अपनी रणनीति नहीं चलाएंगे तो फिर वह अपनी चलाएंगे तो अधिक दिन तक रहना संभव हो पाएगा या नहीं? आने वाले समय में मलिकार्जुन खरगे कि नई कार्यकारिणी बनेगी और प्रभारी भी परिवर्तित किए जा सकते हैं। 

प्रभारी रंधावा जी से हम लोग पूछ रहे हैं कि संगठन बनाने का काम तो आप प्राथमिकता के आधार पर नहीं कर पाए और आप भी आपके 15 दिन का समय दिया है क्या आप भरोसा दिला सकते हैं क्या आपका यह वादा समय रहते पूरा हो पाएगा। सरकार की योजनाएं निश्चित तौर पर अच्छी हो सकती है लेकिन धरातल पर उतारने के लिए कार्यकर्ताओं और नेताओं की जरूरत पड़ेगी जो पार्टी के पास नहीं है। कई जगह तो समर्थक विधायकों के कार्यकर्ताओं का वर्चस्व है ऐसे में कांग्रेस कमजोर स्थिति में आ गई है वहां पर उसको सुधारने के लिए आपके पास क्या रणनीति है उसको भी बताइए, नहीं तो सवाल तो आप पर भी उठेंगे कि आप भी कांग्रेसी हित की जगह विवादित हो जाएंगे।

प्रभारी रंधावा जी इसी तरह से कांग्रेस के नेताओं में आपसी मतभेद को सुलझाने का काम करेंगे तो उसके लिए आपको अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं का सहयोग लेना पड़े तो पीछे मत रहिए। आप निश्चित तौर पर ऐसी बयानबाजी कर देते हैं उससे विवाद हो जाता है फिर आपको अपने कहे गए बातों को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ता है यह पार्टी के हित में है या नहीं यह तो आप ही बता सकते हैं। कांग्रेस को मजबूत और कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाने के लिए आप को व्यापक दौरे करने पड़ेंगे और जिलों और गांव में जाकर कांग्रेस की स्थिति को जांचने के लिए रात्रि विश्राम भी करो और जाने कि प्रदेश में किस तरह के हालात हैं और उसे सुधारने के लिए मिल बैठकर रणनीति बनाओगे तो निश्चित तौर पर कांग्रेस  सरकार रिपीट होगी।  यही कहा जा रहा है कि विधायक अब मंत्रिमंडल विस्तार की बात नहीं करें इसलिए उनकी कमी बताकर उन्हें डरा दिया गया है। 

नहीं तो पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जो कुछ कर रहे हैं उससे क्या कुछ होगा यह तो आप भी जानते हैं पर सीएम गहलोत के सरकार के बचत राहत के कैंप कितने कारगर होंगे यह तो भविष्य ही बता पाएगा। चलो रंधावा जी आप अपनी रणनीति पर हो और कांग्रेस को निष्पक्षता के आधार मजबूत करने का काम करो नहीं तो लोग सवाल तो उठाते ही रहेंगे और आपको जवाब उसका देना ही पड़ेगा।