भरतपुर में NEET की छात्रा ने किया सुसाइड:कम मार्क्स आने से थी परेशान;घर में अकेली थी,मुंह से आ रहे थे झाग

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भरतपुर:-नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में कम मार्क्स आने से परेशान छात्रा ने शुक्रवार को जहर खाकर सुसाइड कर लिया। उस वक्त घर पर कोई नहीं था। माता-पिता जॉब पर गए थे। भाई कॉलेज गया था।

भाई जब लौटा तो छात्रा कमरे में बेड पर अचेत पड़ी थी। मुंह से झाग आ रहे थे। वह बहन को लेकर आरबीएम अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना भरतपुर के मथुरा गेट थाना इलाके की गौरीशंकर कॉलोनी की है।

थानाधिकारी करण सिंह राठौड़ ने बताया- एक लड़की के मौत की सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस आरबीएम अस्पताल की मॉर्च्युरी पहुंची। शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजन को सौंपा। मामले की जांच की जा रही है।

सुसाइड के 6 सबसे बड़े कारण

  1. ऐकडेमिक

कोचिंग इंस्टिट्यूट मे पढाई का तनाव होता है I दूसरे शहरों से आये स्टूडेंट स्टडी कवर नहीं कर पाते I पढ़ाई मे दूसरे बच्चों की तुलना मे कमज़ोर रह जाते है I टेस्ट मे नंबर कम लाते है I एग्जाम मे सलेक्शन नहीं हो पाता I इससे सुसाइड टेंडेंसी बढ़ती है I

2. फिजिकल

कोचिंग लेने वाले अधिकांश स्टूडेंट की उम्र 16 से 18 साल होती है I इस उम्र मे शरीर और सोच मे बदलाव आता है I बच्चा इन्हें समझ नहीं पाता I वह नए शहर मे अकेला हो जाता है I उसे समझाने वाला उसके साथ कोई नहीं होता I इसकी वजह से तनाव बढ़ता है I

3.साइकोलॉजिकल

कुछ बच्चे मानसिक तनाव ले लेते है I इसका कारण प्रेम प्रसंग हो सकता है ,परिवार की और से बच्चा पर दवाब या कोचिंग का दवाब हो सकता है I

4.फैमिली

16-17 साल माता-पिता और परिवार के साथ रहा अचानक अकेला हो जाता है I उस पर पढाई का भारी प्रेशर होता है I परिवार से इमोशनली अटैच कुछ बच्चे इस दूरी को झेल नहीं पाते I इसका असर पढाई पर और फिर दिमाग पर पढ़ता है I परिवार से दूर रहकर ना अच्छा खाना मिलता है,न केयर मिलती है I

5.मेजर लाइफ इवेंट

बच्चे के लाइफ मे अगर ऐसी कोई घटना घटी हो,जिसने उसने दिल-दिमाग पर गहरा असर पढ़ता है,तो स्तिथी खतरनाक हो जाती है I या ऐसा कुछ हो जाए जो बच्चे के दिमाग पर गहरा असर डाले I जैसे-किसी खास सदस्य से दूर हो जाना,मौत या ब्रेकअप हो जाना I यह हालत बच्चे के दिमाग पर गहरा असर डालते है I

6.सोशल इकोनॉमिक

कोचिंग स्टूडेंट्स के पेरेंट्स आर्थिक रूप से संपन्न हो,जरूरी नहीं I सामान्य या गरीब वर्ग के बच्चे कोटा मे संपन्न परिवारों के बच्चो का रहन-सहन देखते है I वह खुद को आर्थिक रूप से कमज़ोर समझने लगते है I यह तनाव का कारण बन जाता है I

घर पर अकेली थी
छात्रा के चाचा नरेंद्र सिंह ने बताया- मेरे भाई राजेंद्र सिंह की बेटी तरु सिंह (19) नीट की तैयारी कर रही थी। 4 जून काे रिजल्ट आया था। उसके 720 में से 278 नंबर आए। तरु का यह दूसरा अटेम्प्ट था। पहले अटेम्प्ट में 290 अंक आए थे। रिजल्ट आने के बाद से ही वह परेशान थी। उसके पिता प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। वे ड्यूटी पर गए थे। मां एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। वे स्कूल गई थीं। तरु का बड़ा भाई चिराग BSC फर्स्ट ईयर में पढ़ता है। वह अपने कॉलेज गया था। तरु घर पर अकेली थी।

भाई को अचेत अवस्था में मिली
दोपहर करीब 3 बजे भाई घर आया। तरु अपने कमरे में बेड पर अचेत पड़ी थी। चिराग ने तरु को आवाज दी, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद चिराग तरु के कमरे में पहुंचा और उसे उठाने की कोशिश की तो उसके मुंह से झाग आ रहे थे और बेहोशी की हालत में थी। इसके बाद चिराग ने माता-पिता को सूचना दी। आसपास के लोगों की मदद से तरु को आरबीएम अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुकी थी। घटना की सूचना मिलने के बाद मथुरा गेट थाना पुलिस मौके पर पहुंची। बताया जा रहा है कि तरु ने जहरीला पदार्थ खाकर सुसाइड किया है।