कोलंबो :-भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका को बुरे समय में अकेला न छोड़ने की बात कही है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी प्राथमिकता में पड़ोसियों को सबसे पहले रखता है। श्रीलंका की आर्थिक हालत सुधारने के लिए भारत ने दूसरों का इंतजार किए बिना ही उचित कदम उठाए।
एस जयशंकर श्रीलंका के दो दिवसीय दौरे पर हैं। दूसरे दिन शुक्रवार को उन्होंने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और विदेश मंत्री अली साबरी समेत कई नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने श्रीलंका सरकार से भारतीय मूल के तमिल समुदाय के लोगों की जरूरतों पर विशेष ध्यान देने के लिए भी कहा।
IMF से फंड लेने में श्रीलंका की मदद कर रहा भारत
श्रीलंका इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से 2.9 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज लेने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए श्रीलंका को कर्ज देने वाले 3 बड़े देशों- भारत, चीन और जापान का IMF को वित्तीय आश्वासन देना जरूरी है।
भारत ने सबसे पहले 16 जनवरी को IMF को लिखित में वित्तीय आश्वासन दिया है, ताकि श्रीलंका को IMF से मदद मिल सके। जयशंकर ने दूसरे कर्जदाताओं से भी श्रीलंका की मदद करने के लिए कहा है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति को भारत आने का निमंत्रण
जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को पीएम मोदी की तरफ से भारत आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि भारत एक विश्वसनीय और भरोसेमंद साथी है। जरूरत पड़ने पर वह श्रीलंका के साथ एक मील ज्यादा चलने के लिए तैयार है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत श्रीलंका की इकोनॉमी में निवेश को बढ़ावा देगा। खासकर ऊर्जा, पर्यटन और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुख्य क्षेत्रों में। उन्होंने श्रीलंका के लिए ऊर्जा संकट को सबसे गंभीर चुनौती बताया।
पिछले साल की थी 4 बिलियन डॉलर की मदद
पिछले साल श्रीलंका ने अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना किया था। तब भारत ने श्रीलंका की 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा की आर्थिक मदद की थी। श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने इस मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया है। साबरी ने कहा कि भारत की मदद से ही श्रीलंका थोड़ा-बहुत वित्तीय संतुलन हासिल कर पाया था।