गहलोत राज में बने 17 नए जिलों पर सोमवार को कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई। इसमें ललित के पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा की गई। इसमें कुछ छोटे जिलों को मर्ज करने का सुझाव आया है। कमेटी ने माना है कि कई छोटे जिले व्यावहारिक नहीं हैं।
पंवार कमेटी को कुछ बिंदुओं पर एक और रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। कैबिनेट सब कमेटी के पास 200 से ज्यादा ज्ञापन आए हैं, इनमें नए जिलों की मांग, कुछ इलाकों को नए जिलों से बाहर निकालने और मर्ज करने से जुड़े हुए हैं। पवार कमेटी के पास भी काफी ज्ञापन है। इन सभी ज्ञापनों पर एक रिपोर्ट मांगी है। हालांकि अभी तक इसे लेकर कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है। जिलों को लेकर पंवार कमेटी ने 30 अगस्त को रिपोर्ट दी थी। अब कैबिनेट सब कमेटी ने कुछ बिंदुओं पर डिटेल रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
मंत्री कन्हैयालाल बोले- आबादी का क्राइटेरिया तो होना चाहिए
कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने बैठक के बाद कहा- जिलों के मापदंड तो होने ही चाहिए। मोटे तौर से जनसंख्या का तो क्राइटेरिया होना चाहिए। एक साथ 17 जिले बने हैं। उन पर कितना फाइनेंशियल खर्च आ रहा है। सारी कैलकुलेशन तो करनी पड़ेगी। एक छोटा विधानसभा क्षेत्र जिला बनता है तो फिर 200 जिले होने चाहिए। बराबर कैसे हो। ज्यादा बढ़ाया जाए या उनको घटाया जाए। सारी चीजों पर चर्चा होने के बाद फैसला किया जाएगा।
कुछ जगहों से नए जिलों की मांग
मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कहा- पंवार कमेटी ने जो आधार बनाए हैं, क्या दूरी होनी चाहिए? क्या आधार होना चाहिए? रेगिस्तान में क्या होना चाहिए? इस पर मोटे तौर पर डिस्कशन किया है। जो जिले बने हैं, उनमें कुछ जोड़ा जाए या नहीं। एक्स्ट्रा कुछ जोड़ा जाएगा, कुछ जगह नए जिलों की डिमांड कर रहे हैं। इन सब पर चर्चा की है। अगली बैठक जल्द होगी।
छोटे जिलों को मर्ज करने पर भी चर्चा
छोटे जिलों के भविष्य को लेकर मंत्री ने कहा- यह सोचने की बात है। जनता का पैसा जो लग रहा है। प्रतापगढ़ 2008 से पहले का बना हुआ जिला है। अभी तक प्रशासनिक चीजें पूरी नहीं हो पाईं। इन जिलों में प्रशासनिक व्यवस्थाएं होने तक 10 साल लग जाएंगे। मोटा आकलन है कि 2000 करोड़ रुपए का भार आएगा। सारी चीजों का आकलन करने के बाद ही फैसला होगा।
उन्होंने कहा- कुछ छोटे जिलों को बढ़ा दें, कोई बड़ा बन सकता है। उसको बड़ा बनाने का प्रयास किया जाएगा। राजस्थान की 7 करोड़ जनसंख्या है। उसको प्रशासनिक इकाइयों के हिसाब से मेंटेन करना जरूरी है। जैसे जयपुर बड़ा है। कोई जिला छोटा है तो बराबर कैसे किया जाए। बड़े जिले के कुछ इलाके छोटे में मिलाकर लोगों की सहमति से हो सकता है।
कई जगह लोग विरोध कर रहे, पुराने जिलों में शामिल करने की मांग
कन्हैयालाल चौधरी ने कहा- जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। कई जगह लोग चिंतित हैं। कई जगह लोग परेशान हैं कि इस जिले में गलत जोड़ा गया। लोग चाहते हैं कि पुराने जिले में रहें। हमारे यहां का ही देख लीजिए। टोडारायसिंह को केकड़ी जिले के अंदर जोड़ा गया। टोडारायसिंह के लोग चाहते हैं कि या तो टोंक में रहें या मालपुरा नया जिला बने। ऐसे बहुत से मुद्दे हैं। हम रिव्यू के बाद जनहित में सही फैसला करेंगे।
राजस्व मंत्री बोले- 15 दिन बाद अगली बैठक होगी
राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा- कमेटी ने सभी बिंदुओं पर विचार किया है। 15 दिन बाद कमेटी की फिर बैठक होगी। हमने पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा की है। जनहित में फैसला होगा। सारे मुद्दों पर कमेटी विचार कर रही है।
कौन से नए जिले सरकार के मापदंडों में नहीं बैठ रहे फिट?
सूत्रों के अनुसार राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में 10-12 जिलों का सीमांकन और आबादी जिला बनाने के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रही। नए बनाए जिलों में ब्यावर, बालोतरा और डीडवाना-कुचामन आदि का स्टेटस बरकरार रहने की पूरी संभावना है।
किस आधार पर बनाए गए थे जिले, आज तक नहीं हुआ खुलासा
कांग्रेस सरकार में जो नए जिले बनाए गए थे, उनमें से कई क्षेत्रों में तो कभी जनता के स्तर पर जिला बनाने की मांग तक नहीं की गई थी। नए जिलों के गठन के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई थी, उस कमेटी ने कभी भी जिला बनाने का आधार-मापदंड तक सार्वजनिक नहीं किए थे।
दूदू को जिला बनाने पर हुआ था विवाद, केवल तीन तहसील
दूदू को जिला बनाने पर खूब विवाद हुआ था। दूदू में केवल तीन तहसील आती हैं। इतने छोटे-से इलाके को जिला बनाने पर सवाल उठे थे। अब जिलों के रिव्यू के लिए बनी कमेटी के संयोजक डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा हैं। बैरवा दूदू से विधायक हैं।
इन जिलों का हो रहा रिव्यू
गहलोत सरकार ने 17 नए जिले बनाए थे, इनमें जयपुर और जोधपुर के 2 टुकड़े किए गए। नए जिलों में अनूपगढ़, गंगापुर सिटी, कोटपूतली, बालोतरा, जयपुर ग्रामीण, खैरथल, ब्यावर, नीमकाथाना, डीग, जोधपुर ग्रामीण, फलोदी, डीडवाना, सलूंबर, दूदू, केकड़ी, सांचौर और शाहपुरा शामिल हैं।
तीन संभाग: बांसवाड़ा, पाली और सीकर को संभाग बनाया था।
कौन से नए जिले सरकार के मापदंडों में नहीं बैठ रहे फिट?
सूत्रों के अनुसार राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में 10-12 जिलों का सीमांकन और आबादी जिला बनाने के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रही। नए बनाए जिलों में ब्यावर, बालोतरा और डीडवाना-कुचामन आदि का स्टेटस बरकरार रहने की पूरी संभावना है।
छोटे जिलों को मर्ज करने पर भी चर्चा
छोटे जिलों के भविष्य को लेकर मंत्री ने कहा- यह सोचने की बात है। जनता का पैसा जो लग रहा है। प्रतापगढ़ 2008 से पहले का बना हुआ जिला है। अभी तक प्रशासनिक चीजें पूरी नहीं हो पाईं। इन जिलों में प्रशासनिक व्यवस्थाएं होने तक 10 साल लग जाएंगे। मोटा आकलन है कि 2000 करोड़ रुपए का भार आएगा। सारी चीजों का आकलन करने के बाद ही फैसला होगा।
उन्होंने कहा- कुछ छोटे जिलों को बढ़ा दें, कोई बड़ा बन सकता है। उसको बड़ा बनाने का प्रयास किया जाएगा। राजस्थान की 7 करोड़ जनसंख्या है। उसको प्रशासनिक इकाइयों के हिसाब से मेंटेन करना जरूरी है। जैसे जयपुर बड़ा है। कोई जिला छोटा है तो बराबर कैसे किया जाए। बड़े जिले के कुछ इलाके छोटे में मिलाकर लोगों की सहमति से हो सकता है।
कई जगह लोग विरोध कर रहे, पुराने जिलों में शामिल करने की मांग
कन्हैयालाल चौधरी ने कहा- जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। कई जगह लोग चिंतित हैं। कई जगह लोग परेशान हैं कि इस जिले में गलत जोड़ा गया। लोग चाहते हैं कि पुराने जिले में रहें। हमारे यहां का ही देख लीजिए। टोडारायसिंह को केकड़ी जिले के अंदर जोड़ा गया। टोडारायसिंह के लोग चाहते हैं कि या तो टोंक में रहें या मालपुरा नया जिला बने। ऐसे बहुत से मुद्दे हैं। हम रिव्यू के बाद जनहित में सही फैसला करेंगे।मेटी के सदस्य जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने बैठक के बाद कहा- जिलों के मापदंड तो होने ही चाहिए। मोटे तौर से जनसंख्या का तो क्राइटेरिया होना चाहिए। एक साथ 17 जिले बने हैं। उन पर कितना फाइनेंशियल खर्च आ रहा है। सारी कैलकुलेशन तो करनी पड़ेगी। एक छोटा विधानसभा क्षेत्र जिला बनता है तो फिर 200 जिले होने चाहिए। बराबर कैसे हो। ज्यादा बढ़ाया जाए या उनको घटाया जाए। सारी चीजों पर चर्चा होने के बाद फैसला किया जाएगा।