जयपुर :- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों के इस्तीफों पर अब हाईकोर्ट में 16 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर के स्तर पर किए जाने वाले फैसले की समय सीमा के बारे में बताने को कहा है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को अनिश्चितकाल के लिए लंबित रखने से इनकार कर दिया हैं। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता पीसी भंडारी को मामले में पक्षकार बनने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में स्पीकर और विधानसभा सचिव से इस्तीफों पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। आज महाधिवक्ता ने याचिका पर जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। इस पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को अनिश्चितकाल के लिए लंबित रखने से इनकार करते हुए अगले 10 दिन में इस पर फैसले से अवगत करवाने को कहा। 16 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।
एजी को मिला जवाब देने के लिए समय, राठौड़ ने पूछा- एजी किसकी तरफ से पैरवी कर रहे
हाईकोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता-एजी को विधायकों के इस्तीफों को लेकर विधानसभा स्पीकर और विधानसभा सचिव की तरफ से जवाब पेश करने में और समय देने की मंजूरी दे दी। राजेंद्र राठौड़ ने पूछा कि एजी किसकी तरफ से पैरवी कर रहे हैं। एजी सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे हैं या विधानसभा स्पीकर या सचिव की तरफ से।
राठौड़ बोले विधायकी से इस्तीफा देने वाले किस हैसियत से मंत्री, उनके फैसले भी गलत
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा- किस्सा कुर्सी में कई दिनों से लोकतंत्र के साथ मजाक होते देख हैं। आधी आबादी को रिप्रजेंट करनेवाले विधायक कहते हैं कि उन्होंने पद छोड़ दिया फिर अचानक कहते हैं कि पद पर रहेंगे। इस्तीफा देने के बाद 97 दिन तक मंत्रिमंडल में रहे विधायकों ने फैसले किए, वे भी गैरकानूनी हैं। जो त्यागवीर बने बैठे थे। वे अचानक कैसे बदल गए।
राठौड़ ने कहा- 91 विधायकों के 97 दिन तक इस्तीफों पर फैसला नहीं होने के मामले को चीफ जस्टिस ने सुना। यह राजस्थान के संसदीय इतिहास में पहला मौका होगा जब हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष और सचिव से विधायकों के इस्तीफों पर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं निर्णय को लंबे समय तक लंबित नहीं राह सके। राठौड़ ने कहा कि 23 जनवरी से बजट सत्र आहूत कर लिया है। बजट सत्र से पहले निर्णय करके कोर्ट आने को कहा है।
25 सितंबर को गहलोत समर्थक विधायकों ने दिए थे इस्तीफे
25 सिंतबर 2022 को गहलोत समर्थक विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए यूडीएच मंत्री शांति शांति धारीवाल के बंगले पर पैरेलल बैठक की थी। इस बैठक के बाद करीब 90 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफे सौंपे थे। गहलोत समर्थक विधायकों ने सचिन पायलट को सीएम बनाने के खिलाफ ये इस्तीफे दिए थे। इस घटना के बाद गहलोत समर्थक विधायकों ने पायलट के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी। मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन को उस समय विधायक दल की बैठक के लिए आॅब्जर्वर बनाकर भेजा था। दोनों नेताओं ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी थी जिसके आधार पर शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस जारी किए थे। तीनों के खिलाफ अब तक एक्शन पैंडिंग है।
सभी गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए
गहलोत समर्थक कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए हैं। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा के जयपुर में नेताओं से गुरुवार-शुक्रवार को फीडबैक बैठक के बाद ही इस्तीफे वापसी का दौर शुरू हो गया था। कांग्रेस हाईकमान से मिले आदेशों के बाद तीन दिन में सभी विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए। बीजेपी ने शुरू से ही गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफों को मुद्दा बना रखा था। इसके बाद उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। अब विधानसभा स्पीकर की तरफ से 16 जनवरी तक जवाब पेश होने का इंतजार है।
विधायकों के इस्तीफा वापसी बाद अब विधानसभा स्पीकर के जवाब का इंतजार
गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफों पर अब विधानसभा स्पीकर की तरफ से 16 जनवरी तक जवाब पेश होना है। विधानसभा स्पीकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट कर सीनियर वकील पैरवी कर सकता है। गहलोत समर्थक विधायक अब इस्तीफे वापस ले चुके हैं, ऐसे में विधानसभा स्पीकर की तरफ से इस मुद्दे पर क्या जवाब आता है इस पर सबकी निपगाहें टिकी हुई हैं। विधानसभा स्पीकर विधायकों के इस्तीफे देने और वापस लेने की बात का जिक्र करते हैं या कोई दूसरा तर्क देते हैं, इस पर सब कुछ निर्भर करेगा।