नई दिल्ली:-लोकसभा में बुधवार को कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने मंजूरी दे दी।
दोपहर 12 बजे लोकसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।
स्पीकर ने नियमों के तहत 50 से ज्यादा सांसदों के समर्थन के बाद कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का समय सभी दलों से बातचीत के बाद तय करेंगे।
हालांकि विपक्ष नारेबाजी करते हुए PM मोदी की मौजूदगी की मांग करने लगे। इसके बाद लोकसभा 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।
दोबारा कार्रवाई शुरू होने पर वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ। हालांकि विपक्ष के हंगामे के चलते इसे गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा से विपक्ष का वॉकआउट
राज्यसभा में दोबारा कार्रवाई शुरू हुई। लेकिन विपक्षी सांसद लगातार वी वॉन्ट जस्टिस, PM मोदी जवाब दो… के नारे लगाते रहे। बाद में इसे दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
दोपहर 2 बजे जब कार्रवाई शुरू हुई तो विपक्ष ने लगातार दूसरे दिन सदन से वॉकआउट कर दिया। हालांकि, सदन की कार्रवाई जारी है।
सरकार के खिलाफ के अविश्वास प्रस्ताव लाने की भविष्यवाणी पीएम मोदी ने 5 साल पहले ही कर दी थी। दरअसल, 2018 में जब संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, तब लोकसभा में जवाब देते हुए PM मोदी ने कहा था, “मैं आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आप इतनी तैयारी करें कि आपको 2023 में फिर से अविश्वास लाने का मौका मिले।”
अविश्वास प्रस्ताव पर सांसदों के बयान….
- संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल- पहले वे चर्चा चाहते थे। जब हम तैयार हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। अब वे नया मुद्दा लेकर आए कि पीएम आकर चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है ये सभी बहाने हैं।
- शिव सेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी- अगर पीएम को संसद में लाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हम इस देश की बहुत बड़ी सेवा करेंगे।
- राजद सांसद मनोज झा- हम जानते हैं कि संख्याएं हमारे पक्ष में नहीं, लेकिन लोकतंत्र सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं है। शायद अविश्वास प्रस्ताव के बहाने उन्हें कुछ बोलने पर मजबूर किया जा सकता है। यही सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ी वे बातें जो आप जानना चाहते हैं….
1. अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का मकसद क्या है
विपक्ष जानता है कि सरकार सदन में आसानी से बहुमत साबित कर देगी, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री का भाषण भी होगा। यानी बहस के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरकर वे धारणा की लड़ाई जीत लेंगे।
हालांकि, सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर की स्थिति पर बहस का जवाब देंगे।
2. प्रस्ताव को 50 सांसदों ने समर्थन दिया, ये आंकड़ा जरूरी था
कांग्रेस जो अविश्वास प्रस्ताव लाई, उसे 50 सांसदों का समर्थन मिला। यह आंकड़ा रूल्स ऑफ प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ लोकसभा के रूल 198 के तहत आता है। इसके पहले अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले को सुबह 10 बजे लिखित सूचना देनी होती है। जिसे अध्यक्ष सदन में पढ़ते हैं। समर्थन मिलने के बाद अध्यक्ष बहस की तारीख बताते हैं। यानी प्रस्ताव स्वीकृत होने के 10 दिन के अंदर बहस होगी।
अगर ऐसा नहीं होता, तो प्रस्ताव फेल हो जाता है और इसे लाने वाले सदस्य को इसी सूचना दे दी जाती है। वहीं दूसरी तरफ अगर सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है।
3. लोकसभा में क्या है सरकार की मौजूदा स्थिति
लोकसभा में वर्तमान में 543 सीटें हैं। जिनमें से पांच खाली हैं। अभी लोकसभा में NDA के 335 सांसद हैं। जबकि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के 140 से ज्यादा सांसद हैं। वहीं 60 से सांसद उन पार्टियों के हैं जो न तो NDA से जुड़े हैं न I.N.D.I.A से।
मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 में आया। तब सरकार को 325, विपक्ष को 126 वोट मिले थे।
पहला अविश्वास प्रस्ताव नेहरू सरकार के खिलाफ 1963 में जेबी कृपलानी लाए थे। तब से अब तक 26 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके हैं।
केंद्र सरकार मानसून सत्र में 31 बिल लाएगी, सत्र में 17 बैठकें होंगी
मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 17 बैठकें होंगी। केंद्र सरकार मानसून सत्र में 31 बिल ला रही है। इनमें 21 नए बिल हैं, वहीं 10 बिल पहले संसद में किसी एक सदन में पेश हो चुके हैं। उन पर चर्चा होगी। सबसे ज्यादा चर्चित बिल दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा अध्यादेश है।