नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिए गए स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने अंतिम फैसला सुनाने की बजाय अगली सुनवाई की तारीख 7 अप्रैल तय की है। इस दौरान करीब आधे घंटे तक चली बहस में सरकारी पक्ष ने जमानत का कड़ा विरोध किया।
सरकारी पक्ष ने उठाया शर्तों के उल्लंघन का मुद्दा
सरकारी अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि आसाराम ने पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रवचन न करने की शर्त का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। वहीं, आसाराम के वकील ने दावा किया कि किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं हुआ है और चिकित्सा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने मांगी इलाज की पूरी जानकारी
सुनवाई के दौरान अदालत ने पूर्व में मिली अंतरिम जमानत के दौरान कराए गए इलाज का पूरा ब्योरा मांगा और यह भी पूछा कि भविष्य में क्या ऐसी चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा, कोर्ट ने आसाराम की ओर से शर्तों के उल्लंघन पर जवाबी शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं।
जेल में आत्मसमर्पण के बाद अस्पताल में भर्ती
गौरतलब है कि अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद 1 अप्रैल को दोपहर 1:30 बजे आसाराम ने जोधपुर सेंट्रल जेल में आत्मसमर्पण किया था। वहां करीब 10 घंटे बिताने के बाद रात 11:30 बजे उन्हें पाली रोड स्थित एक निजी अस्पताल (आरोग्यम) में भर्ती कराया गया। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि उन्हें अस्पताल में किस कारण भर्ती किया गया है और उनकी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति क्या है।