इम्फाल:-कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार दोपहर को दो दिन के मणिपुर दौरे पर पहुंचे। यहां इंफाल से 20 किलोमीटर दूर विष्णुपुर के पास उनके काफिले को पुलिस ने रोक दिया, जिसके बाद वे इंफाल लौट आए हैं। राहुल चूराचांदपुर रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मिलने जा रहे थे। पुलिस का कहना है कि रास्ते में हिंसा हो सकती है, इसलिए काफिला रोका गया।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि बिष्णुपुर जिले में हाईवे पर टायर जलाए गए थे और काफिला पर कुछ पत्थर भी फेंके गए थे। हमें डर है कि ऐसी घटनाएं दोबारा हो सकती हैं, इसलिए सावधानी रखते हुए काफिले को विष्णुपुर में रोका गया। यहां से वे हेलिकॉप्टर से चूराचांदपुर जाएंगे।
केसी वेणुगोपाल बोले- काफिला रोकने की वजह समझ नहीं आ रही
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पुलिस का कहना है कि वे हमें इजाजत देने की स्थिति में नहीं हैं। राहुल का स्वागत करने लिए लोग सड़क के दोनों ओर खड़े हैं। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्होंने हमें क्यों रोका है।
30 जून तक मणिपुर में रहेंगे राहुल
राहुल को मणिपुर के रिलीफ कैंपों का दौरा करना है और सिविल सोसाइटी के नेताओं से मुलाकात करनी है। वे 30 जून तक मणिपुर में रहेंगे। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष ओकराम इबोबी सिंह ने बताया कि राहुल का सीनियर सिटीजन और कई नेताओं से भी मिलने का भी प्रोग्राम है।
हिंसा में 131 लोग गंवा चुके हैं जान
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 419 लोग घायल हुए हैं। 65,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
हिंसा को देखते हुए राज्य में 30 जून तक इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ा दिया गया है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।
मणिपुर के थानों से लूटे गए हथियारों को बेच रहे उपद्रवी
मणिपुर में बीते महीने हिंसा के दौरान लूटे गए पांच हजार से अधिक हथियार उपद्रवियों की ओर से बेचे जा रहे हैं। इसका खुलासा सेना और पुलिस के जवानों द्वारा चार हथियार तस्करों की गिरफ्तारी से हुआ है। एक रिजर्व बटालियन के कुक को भी इस सिलसिले में पकड़ा गया है।
हालांकि उसके नाम का खुलासा नहीं हुआ है। इन तस्करों के पास चार 9 एमएम कार्बाइन, कुछ मैगजीन, एयर पिस्टल, गोला बारूद के अलावा 21 जिंदा कारतूस और 2.6 लाख रुपए नकद भी मिले। वहीं, नगालैंड में असम राइफल्स और कोहिमा पुलिस ने संयुक्त अभियान में मणिपुर जा रहे हथियारों की बड़ी खेप पकड़ी है। इसमें दो पिस्तौल, चार मैगजीन, गोला-बारूद और अन्य विस्फोटक सामान बरामद किया गया।
मणिपुर हिंसा के शुरुआती चरण में पुलिस थानों और सुरक्षा बलों से लूटे गए एक चौथाई हथियार वापस हासिल किए जा चुके हैं। अब तक 11,00 हथियार, 13,702 गोला-बारूद और विभिन्न प्रकार के 250 बम बरामद किए गए हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।