टिफिन विद दीदी कार्यक्रम में बोले लोकसभा अध्यक्ष महिलाएं ही बदलेंगी देश की दिशा
कोटा। चुनौतियों से संघर्ष करते हुए महिलाओं ने देश में कई परिवर्तन किए हैं। अपने जुनून, कड़ी मेहनत से महिलाएं देश की दिशा बदलने का सामथ्र्य रखती हैं। हम महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाएंगे ताकि वे विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को सुल्तानपुर और राजोपा ग्राम पंचायत में आयोजित टिफिन विद दीदी कार्यक्रम में कही।
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के साथ संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि राजीविका मिशन से जुड़ी दीदियों के परिश्रम और समर्पण को देख नई ऊर्जा मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। इन बहनों में अटूट विश्वास है, नए काम करने का संकल्प है और स्वयं के आर्थिक स्वावलंबन से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प हैं।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद इस अमृतकाल की यात्रा तक महिलाओं ने देश के विकास में अतुलनीय योगदान दिया है। एक समय था जब महिलाओं को शिक्षा के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था, लेकिन अब समय बदल गया है। महिलाएं अब अपनी पारीवारिक जिम्मेदारियां भी निभा रही हैं और सामाजिक उत्तरदायित्वों को भी पूरा कर रही हैं। महिलाएं आज समाज की धुरी हैं जो सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन ला रही हैं।
कच्चे माल से मार्केटिंग तक बनाएंगे नेटवर्क
स्पीकर बिरला ने कहा कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए कार्ययोजना के तहत काम किया जा रहा है। हम इन महिलाओं को कम्पनियों से कच्चा माल दिलाने और उनके बनाए प्रोडक्ट को सीधे ही कम्पनियों द्वारा खरीदने के लिए नेटवर्क स्थापित करेंगे। हमारा प्रयास होगा कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला लखपति दीदी बने।
हर गांव में हो दादी-नानी स्कूल
स्पीकर बिरला ने कहा कि हर गांव में हम दादी-नानी के लिए स्कूल प्रारंभ करना चाहते हैं ताकि गांव के वरिष्ठजन भी साक्षर हो सकें। वे साक्षर और जागरूक होंगी तो वे किसी भी प्रकार के वित्तीय जोखिम से स्वयं को बचा पाएंगी।
गौरवान्वित करती हैं आत्मनिर्भरता की कहानियां
कार्यक्रम के दौरान स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी अनेक महिलाओं ने अपनी सफलता की कहानियां सुनाईं। घर की चारदीवारी से निकल कर आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आत्मविश्वास के साथ चलने की यह कहानियां प्रेरणा देने के साथ गौरवान्वित भी करती हैं। किसी महिला ने ज्वैलरी बनाकर तो किसी ने डेयरी उद्योग स्थापित कर परिवार को संबल दिया। कुछ महिलाओं ने न सिर्फ अपना उद्योग स्थापित किया बल्कि अपनी मेहनत से स्थानीय स्तर पर उत्पाद के लिए बाजार भी तैयार किया। आज वे अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।