हेरिटेज नगर निगम अधिकारी वर्मा को लेकर 6 दिन से विवाद जारी,शहर की सफाई व्यवस्था चौपट,सीएम गहलोत और डोटासरा की चुप्पी क्यों !

Jaipur Rajasthan

जयपुर:-हेरिटेज नगर निगम में अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा के निलंबन मामले को लेकर 6 दिन से  सत्ताधारी  कांग्रेस पार्टी की मेयर मुनेश गुर्जर सहित पार्षद धरने पर बैठे हैं। इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्तर पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। तूफान के बाद शहर  की कच्ची बस्तियों और कई लोगों की हालत खराब है।  

हेरिटेज नगर निगम का कामकाज पूरी तरह से ठप है। जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी पार्षदों को समझा पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा मेयर और पार्षदों का अनुसूचित जाति एक्ट के तहत मामला दर्ज कराने की सरकार से अनुमति मांग रहे हैं। यहां सबसे पेचीदा मामला यह है कि आखिर इतने बड़े अधिकारी को जातिवाद का सारा जो लेना पड़ रहा है!

मेयर मुनेश गुर्जर अपनी बात मीडिया के माध्यम से सरकार तक पहुंचा रही है। उनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर अपनी बात कहें और निर्णय अपने पक्ष में करा पाए।  मेयर सहित 40 विधायकों ने इस्तीफा सीएम गहलोत को भेजा हुआ है। इसलिए  विवाद चुनौतीपूर्ण और पेचीदा बना हुआ है।

सीएम गहलोत को इस विवाद को समाप्त करने के लिए अधिकारी को एपीओ करने की जरूरत है। लेकिन इस मामले को लटकाए रखना चाहते हैं। इसके पीछे क्या राजनीति है यह तो फिलहाल चर्चा का विषय बने हुए है। खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खचारियावास इस झगड़े से अपने आप को दूर क्यों किए हुए हैं। कांग्रेस के विधायक अमीन कागज़ी और रफीक खान का कोई बयान नहीं आना किस राज्य का हिस्सा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा इस मामले को अपने स्तर से मिटाने के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे हैं ! सवाल बहुत है जवाब कोई देने को तैयार नहीं है।

चुनाव नजदीक है और हेरिटेज नगर निगम  में निर्दलीय पार्षदों के माध्यम से कांग्रेस सत्ता में हैं और उनकी कई अनैतिक मांगों को भी पूरा करना पड़ता है। हर पार्षद को बीट के कर्मचारी को चाहिए जिसके पीछे भी रहस्य हैं। 

ग्रेटर नगर निगम में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के कहने के बाद मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। लेकिन हेरिटेज नगर निगम में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है इसमें  क्या अंतर है स्पष्ट करने की जरूरत है। अब ऐसे विवादित अधिकारी को हेरिटेज नगर निगम में रखने का क्या फायदा है।

उल्लेखनीय है कि जब जयपुर नगर निगम में मेयर ज्योति खंडेलवाल थी तो उन्होंने अपने शासनकाल में कितने मुख्य कार्यकारी अधिकारी बदले गए। इसका इतिहास किसी से छुपा हुआ नहीं है।