बाजरे खरीद के मामले को लेकर विपक्ष ने विधानसभा में शुक्रवार को जोरदार हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे के चलते सदन में व्यवस्था फैल गई। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को सरकार को यह निर्देश देने के लिए मजबूर होना पड़ा कि वेल में आने वाले सदस्यों को बाहर निकालने के लिए प्रस्ताव लेकर आओ। लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया वक्त नहीं की गई ।
विधानसभा में मौजूद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को बाजरे खरीद मामले को लेकर सदन में हस्तक्षेप करना पड़ा और कहा कि उनकी सरकारकिसानों के लिए चिंतित है और आने वाले समय में बाजरे के मामले में किसानों के पक्ष में निर्णय किया जाएगा। उन्होंने कहा किपूर्ति कांग्रेस सरकार ने 5 साल में बाजरे खरीद के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।उन्होंने कहा कि हमने केंद्र को पत्र लिखा है और विश्वास एक आने वाले बाजरे की फसल तक कोई निर्णय हो जाएगा ।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के समय हरियाणा,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेशऔर गुजरात के किसानों कोबाजरे के ₹ 2300 क्विंटल के दाम मिले लेकिन राजस्थान के किसान इससे वंचित रहे । उन्होंने कहा कि मेरी सरकार बनने के बादपहली बार बाजरे की फसल आएगी और निश्चित तौर पर सरकार कोई सकारात्मक निर्णय किसानों के हित में करेगी।
विपक्ष के नेता टीकाराम जूली नेकहा कि सरकार स्पष्ट रूप से बताएं कि बाजरे की फसल के बारे में क्या कोई निर्णय होने वाला है। उन्होंने मुख्यमंत्री शर्मा से आग्रह करते हुए कहा कि उनकी मौजूदगी सदन में रहने सेगरिमा बढ़ती है औरआप विधानसभा में अधिक समय बिताया करो। उन्होंने कहा कि सदन में विपक्ष मंत्रियों से सवाल करता है तो मंत्री जवाब देने की बजाय इधर-उधर की बात करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि वह सदन में स्पष्ट रूप से घोषणा करें जिससे किसानों का भला हो सके।
बयाना से विधायक डॉ रितु बराला के प्रश्न के जवाब में खाद आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि सरकार किसान के पक्ष में निर्णय करेगी।उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी बाजार खरीद के मामले में कोई निर्णय नहीं किया गया। राजस्थान का किसान अपने बाजरे को लेकर सड़क पर घूमता रहा उसेउसका मूल्य नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा किकांग्रेस सरकार ने बाजार खरीद के मामले में कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया इसलिए कोई बाजार नहीं खरीदा जा सका । उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने केंद्र को पत्र लिखा है और निश्चित तौर पर किस के पक्ष में निर्णय होगा।