नई दिल्ली : हिजाब पर बैन को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय बंटी हुई थी और अब इस मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का जिक्र करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम तो उम्मीद कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट से एकमत से हिजाब के पक्ष में फैसला आएगा। लेकिन जजों की राय अलग रही, हम इसका सम्मान करते हैं। जस्टिस धूलिया ने कहा कि चॉइस बहुत बड़ी चीज होती है और इसका सम्मान होना चाहिए। उन्होंने आर्टिकल 14 और 19 का जिक्र करते हुए उन्होंने अपना फैसला लिखा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इसे भाजपा ने बेवजह मुद्दा बना दिया है। यह तो लड़कियों की पसंद का मामला है। ओवैसी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में हिजाब की तुलना पगड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र से भी की। उन्होंने कहा, ‘यदि आप यूनिफॉर्म में एक सिख लड़के को पगड़ी की इजाजत देते हैं और हिंदू लड़की को सिंदूर लगाने और मंगलसूत्र की छूट देते हैं, लेकिन मुस्लिम लड़कियों को हिजाब की परमिशन नहीं मिलती है तो यह भेदभाव है।’ ओवैसी ने कहा कि यदि बच्चे एक-दूसरे की धार्मिक परंपराओं को नहीं देखेंगे तो वह कैसे विविधता को समझेंगे। यह जरूरी है कि बच्चे स्कूल में ही सभी परंपराओं को समझें।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है। अल्लाह और कुरान ने हिजाब और निकाब को हुक्म बताया है। कोई यदि हिजाब नहीं पहनना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है, लेकिन किसी की इच्छा है तो उसे पहनने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अल्लाह का कुरान में फरमान है कि लड़कियां हिजाब पहनें। ओवैसी ने कहा कि क्या मैंने कभी कहा कि मैं उसी एंकर से बात करूंगा, जिसने हिजाब नहीं पहना हो। इसी मामले पर बोलते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य यास्मीन फारूकी ने कहा कि दो जजों की राय अलग थी। इससे पता चलता है कि दो लोगों की राय अलग हो सकती है।