नई दिल्ली:-यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के वार्ता समर्थक गुट ने शुक्रवार (29 दिसंबर) को केंद्र और असम सरकारों के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता साइन किया। इस शांति समझौते में हिंसा छोड़ने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की बातें शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी रही।
यह शांति समझौता अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा गुट और सरकार के बीच 12 साल चली बिना शर्त बातचीत का समापन है। शांति समझौते के साथ 700 कैडरों ने भी समर्पण किया है।
उत्तर पूर्व में उल्फा का बीते कई सालों से आर्म्ड फोर्सेज के खिलाफ संषर्घ का इतिहास है। इस शांति समझौते से असम में लंबे समय से चले आ रहे विद्रोह का अंत होने की उम्मीद है।
दरअसल, ULFA के एक गुट के 20 नेता पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में थे। भारत सरकार और असम सरकार के अधिकारी इन नेताओं को शांति समझौते के मसौदे पर साइन करने के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे थे।
ULFA के जिस गुट ने शांति समझौते पर साइन किए हैं, उसका नेतृत्व अनूप चेतिया करते हैं। इस गुट ने साल 2011 के बाद से हथियार नहीं उठाए हैं।
समझौते के मुख्य पॉइंट्स…
- ULFA के मेंबर्स ने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है, भारत सरकार उन्हें मुध्यधारा में लाने का हर संभव प्रयास करेगी।
- असम सरकार ULFA कैडरों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराएगी।
- असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी।
- राज्य के लोगों के लिए बेहतर रोजगार के साधन मौजूद होंगे।
अमित शाह बोले- यह असम के भविष्य के लिए उज्जवल दिन
ULFA के साथ शांति समझौता होने के बाद अमित शाह ने कहा- यह असम के भविष्य के लिए उज्जवल दिन है। कई दशकों से असम और उत्तर-पूर्व में हिंसा देखने को मिल रही है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद हम पूर्वोत्तर को हिंसा मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 5 साल में पूर्वोत्तर में 9 शांति समझौते हुए हैं। इसमें सीमा शांति और शांति समझौते शामिल हैं। असम के 85% इलाकों से AFSPA हटा दिया गया है। आज ULFA के साथ हुए समझौते से राज्य में हिंसा खत्म होगी। यह संगठन कई दशकों से हिंसा कर रहा था, जिससे करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई है।