जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि अदालतों में पेंडेसी एक बड़ी समस्या है, लेकिन यह समस्या तब तक समाप्त नहीं हो सकती है, जब तक न्यायाधीशों की संख्या में इजाफा और न्यायालयों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं होती हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसी कोई संस्था नहीं है, जहां सब कुछ अच्छा चल रहा हो। यहां भी कई तरह की चुनौतियां हैं। मुकदमों की संख्या ज्यादा है और जजों की संख्या कम है, इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है।
सीजे श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी स्थिति में हमारे सामने चुनौती रहती है कि हम कौनसे मामले पहले लें। जैसे पेंशनर्स के मामलों में हम भी चाहते हैं कि हम उन्हें जल्दी रिलीफ दें। उनके केस को जल्दी डिसाइड करें, लेकिन हमारी भी सीमाएं हैं। सीजे श्रीवास्तव बुधवार को हाईकोर्ट के सतीश चंद्र सभागार में अपने सम्मान समारोह में बोल रहे थे। सीजे बनने के बाद हाईकोर्ट बार की ओर से उनके सम्मान में समारोह रखा गया था।
सीजे श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी कोशिश रहती है कि अर्जेंट केसेज को पहले लें, लेकिन साथ ही पुराने केसेज को भी सुनना हमारी प्राथमिकता में रहता है। हमने हाईकोर्ट में सेकेंड हाफ के बाद पुराने केसेज सुनने की व्यवस्था की है, जिससे पुराने केसेज का जल्द निस्तारण हो सके।
सीजे ने कहा- लेकिन मैं बार से भी कहना चाहूंगा कि इसमें हमें पूर्ण सहयोग दें, क्योंकि बिना बार के यह काम पूरा नहीं हो सकता है। सीजे ने कहा कि मुझे पता है कि बार की अपनी कई समस्याएं हैं, क्योंकि मैं भी पहले उधर रह चुका हूं।
हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष प्रह्लाद शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट बार की ओर से सीजे एमएम श्रीवास्तव और महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद के सम्मान में समारोह आयोजित किया गया। इसमें नव नियुक्त पांच अतिरिक्त महाधिवक्ताओं का भी सम्मान किया है। लंच आवर्स में हाईकोर्ट के सतीश चंद्र सभागार में आयोजित हुए इस सम्मान समारोह में जयपुर पीठ के अन्य न्यायाधीश और अधिवक्ता मौजूद रहे।