पेरिस:-फ्रांस में बैस्टिल डे परेड शुरू होने वाली है। PM मोदी इसमें बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए हैं। चैम्प्स एल्सीज पर PM मोदी को प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बॉर्न और फर्स्ट लेडी ब्रिजिट मैक्रों ने रिसीव किया। इसके बाद राष्ट्रपति मैक्रों ने मोदी को गले लगाकर उनका स्वागत किया।
बैस्टिल डे परेड में इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के 269 सदस्यों का एक दल भी हिस्सा लेगा। इसके अलावा भारतीय वायुसेना के 3 राफेल फाइटर जेट भी फ्रांस के लड़ाकू विमानों के साथ चैम्प्स एल्सीज के ऊपर फ्लाईपास्ट में शामिल होंगे।
परेड में भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट का 77 मार्चिंग दस्ता और बैंड के 38 जवान भी शामिल होंगे। सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कैप्टन अमन जगताप करेंगे। भारतीय नौसैनिक दल को कमांडर व्रत बघेल लीड करेंगे। वहीं, फ्रांस में इंडियन एयरफोर्स के दस्ते का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर सिंदु रेड्डी करेंगीं। इस दौरान भारतीय दल में मौजूद राजपूताना राइफल्स ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन भी बजाएगा।
2009 में PM मनमोहन सिंह बैस्टिल डे परेड में चीफ गेस्ट थे
खास बात ये है कि आमतौर पर फ्रांस एक से ज्यादा फॉरेन गेस्ट को इस समारोह के लिए आमंत्रित करता है, लेकिन इस बार इवेंट में PM मोदी इकलौते विदेशी मेहमान होंगे। मोदी से पहले साल 2009 में पहली बार तत्कालीन PM मनमोहन सिंह को फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने बतौर चीफ गेस्ट इनवाइट किया था।
डिनर के लिए वेजिटेरियन मेन्यू, मोनालिसा की पेंटिंग भी देखेंगे PM
बैस्टिल डे परेड के बाद भारत और फ्रांस के बीच डेलिगेशन लेवल की बातचीत होगी। PM मोदी फ्रांस की नेशनल असैंबली के अध्यक्ष येल ब्रॉन पिवेट से मुलाकात करेंगे। इसके बाद PM भारत-फ्रांस के कारोबारियों के साथ भी बैठक करेंगे। इस दौरान उनके साथ राष्ट्रपति मैक्रों भी मौजूद रह सकते हैं। PM मोदी के सम्मान में मैक्रों वर्ल्ड फेमस लूव्र म्यूजियम के कोर मार्ली कोर्टयार्ड में एक स्टेट बैन्क्वेट भी होस्ट करेंगे। इसमें 250 डिग्निटरीज शामिल होंगे।
डिनर में PM मोदी के लिए खास वेजिटेरियन मेन्यू तैयार किया गया है। मैक्रों मोदी को इस म्यूजियम का एक टूर भी कराएंगे। यहीं पर दुनिया की सबसे चर्चित और महंगी माने जाने वाली मोनालिसा पेंटिंग भी मौजूद है। म्यूजियम के टूर के बाद इसकी छत से मोदी और मैक्रों एफिल टावर के ऊपर होने वाली आतिशबाजी का आनंद उठाएंगे।
पहले किला, फिर जेल के लिए मशहूर बैस्टिल बना क्रांति का प्रतीक
बैस्टिल डे को फ्रेंच रेवोल्यूशन के सिंबल के तौर पर देखा जाता है। दरअसल, 18वीं सदी के अंत में फ्रांस के आखिरी राजा लुइस XVI के शासन में बड़ा आर्थिक संकट आया था। 5 मई, 1789 को देश के स्टेट जनरल ने एक बैठक बुलाई, लेकिन इसमें थर्ड स्टेट के लोग यानी आम जनता को शामिल नहीं किया गया। सरकार के इस फैसले से देश के नागरिक नाराज हो गए। फ्रांस की जनता ने राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
बैस्टिल को पहले एक किले और फिर जेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसमें उन कैदियों को रखा जाता था, जिन्होंने राजद्रोह किया हो, या देश के शासक के खिलाफ आवाज उठाई हो। इन कैदियों को अपनी सजा के खिलाफ कहीं भी अपील करने का अधिकार नहीं था। फ्रांसीसी क्रांति यानी फ्रेंच रेवोल्यूशन के दौरान ये जेल कठोर शासन का प्रतीक बन गई थी।
14 जुलाई, 1789 को क्रांति के वक्त बड़ी तादाद में फ्रांस की जनता बैस्टिल जेल के बाहर जमा हुई। लोगों ने जेल पर हमला बोल दिया और यहां मौजूद सात कैदियों को छुड़ा लिया। ये फ्रांसीसी क्रांति की काफी महत्वपूर्ण घटना कही जाती है। इसे राजशाही शासन के अंत के तौर पर देखा जाता है।
अब तक सिर्फ 2 बार कैंसिल हुई बैस्टिल डे परेड
14 जुलाई 1880 को पेरिस में पहली बार बैस्टिल डे पर परेड का आयोजन किया गया था। इसके बाद से हर साल फ्रांस में बैस्टिल डे परेड होती आ रही है। इसमें राष्ट्रपति समेत कई डिग्निटरीज मौजूद रहते हैं। 1880 के बाद से आज तक सिर्फ 2 बार ऐसा हुआ है जब बैस्टिल डे परेड का आयोजन नहीं हुआ।
पहली बार 1940-1944 के दौरान वर्ल्ड वॉर 2 की वजह से ये परेड नहीं हुई थी। इसके बाद 2020 में कोरोना के चलते परेड कैंसिल कर दी गई थी। हालांकि, तब 14 जुलाई को आतिशबाजी हुई थी और हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए एक खास समारोह आयोजित किया गया था। इस बार की परेड में फ्रांस के मार्चिंग कंटिन्जेंट के 6300 सैनिक शामिल होंगे।