PM बांदीपुर टाइगर रिजर्व पहुंचे:खुली जीप में बैठे; इसके बाद थेप्पाकडु कैंप जाएंगे,ऑस्कर विनिंग फिल्म ऐलिफेंट व्हिस्परर्स यहां शूट हुई थी

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बेंगलुरु:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने कार्यक्रम में शामिल होने मैसूर पहुंचे। हैट, टी-शर्ट और ट्राउजर में PM मोदी का लुक बदला हुआ है। वे बांदीपुर टाइगर रिजर्व में खुली जीप में भी घूमे। PM तमिलनाडु की सीमा से लगे मुदुमलई नेशनल पार्क जाएंगे और थेप्पाकडु एलिफेंट कैंप का भी दौरा करेंगे।

इस एलिफेंट पार्क का मुख्य आकर्षण हाथी रघु है। ऑस्कर विनिंग फिल्म “द एलिफेंट व्हिस्परर्स” रघु और उसे पालनेवालों पर आधारित है। इसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म कैटेगिरी में ऑस्कर अवॉर्ड मिला है।

मोदी बांदीपुर में वे ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने पर एक मेगा इवेंट में बाघों से जुड़े लेटेस्ट आंकड़े जारी करेंगे। अमृत काल के दौरान बाघों को बचाने के लिए सरकार के विजन और इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस (IBCA) भी लॉन्च करेंगे। इस मौके पर स्मारक से जुड़ा एक सिक्का भी जारी किया जाएगा। बता दें कि, IBCA दुनिया की सात बिग कैट्स को बचाने और उनके संरक्षण का काम करेगा। इसके लिए उन देशों की मदद ली जाएगी जहां इस तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं।

बांदीपुर टाइगर रिजर्व में फ्रंटलाइन फील्ड स्टाफ से बातचीत करेंगे
PM मोदी चामराजनगर जिले में स्थित बांदीपुर टाइगर रिजर्व का दौरा करेंगे। जहां वे सुबह के समय टाइगर्स के कंजर्वेशन के लिए काम कर रहे फ्रंटलाइन फील्ड स्टाफ और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के साथ बातचीत करेंगे। मोदी टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर्स से भी मिलेंगे।

इसके बाद प्रधानमंत्री मुदुमलाई नेशनल पार्क में बने थेप्पाकडू हाथी शिविर का भी दौरा करेंगे और महावतों और ‘कावड़ियों’ से बातचीत करेंगे। इसी जगह पर ऑस्कर जीतने वाली डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ की शूटिंग हुई है।

2019 में ग्लोबल लीडर्स के साथ की थी पहल
2019 में पीएम मोदी ने ग्लोबल लीडर्स के साथ मिलकर एशिया में जानवरों के अवैध शिकार और अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने की पहल की थी। प्रधानमंत्री के उसी संदेश को आगे बढ़ाते के लिए IBCA की शुरुआत की जा रही है।

9 से 53 बाघ हुए, अब शिकार के खतरे भी कम
वन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर एसपी यादव ने बताया कि बेहतर तकनीक और सुरक्षा तंत्र के कारण बाघों का शिकार काफी हद तक कम हो गया है। लेकिन अभी भी इनके लिए बहुत खतरे हैं। शुरुआत के समय 18,278 स्क्वायर किमी में फैले अभयारण्य में 9 बाघ थे।

जो अब 75,000 स्क्वायर किमी में फैले (जो देश के जियोग्राफिक एरिया का लगभग 2.4 पर्सेंट है) अभ्यारण में 53 बाघ हो गए हैं। भारत में लगभग 3,000 बाघ हैं, जो दुनिया के जंगली बाघों की आबादी के 70 पर्सेंट से ज्यादा है, और यह संख्या प्रति वर्ष छह प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।