जयपुर:-साल 2021 दिसंबर में कर्नाटक के एक कॉलेज में छात्राओं को हिजाब पहनने से रोका गया था। विवाद इतना बढ़ा कि तत्कालीन राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी सरकार के पक्ष में ही फैसला सुनाया। हालांकि, साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इस मामले को लेकर जजों में इसे लेकर एकराय नहीं बन पाई थी।
अब राजस्थान में भी एजुकेशनल सोसाइटी में हिजाब पहनने को लेकर बहस छिड़ गई है। जयपुर के हवामहल से विधायक बालमुकंद आचार्य के एक सरकारी स्कूल में दिए बयान के बाद यह मुद्दा गरमाया है। सूत्रों का दावा है कि राजस्थान में सरकारी स्कूलों में हिजाब पर पाबंदी लगाने की तैयारी है।
इसके लिए दूसरे राज्यों में हिजाब पाबंदी को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। वहीं, भजनलाल सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने हिजाब बैन की वकालत की है। सोमवार 29 जनवरी को इस विवाद की गूंज विधानसभा में भी सुनाई दी।
किरोड़ी बोले- ड्रेस कोड का पालन हो, हिजाब पर पाबंदी लगे
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने प्रदेशभर में स्कूलों में हिजाब पर बैन लगाने की पैरवी की है। उन्होंने कहा- स्कूलों में ड्रेस कोड का पालन होना ही चाहिए। हिजाब सरकारी ही नहीं, प्राइवेट स्कूलों और मदरसों तक में प्रतिबंधित होना चाहिए। मैं इस पर मुख्यमंत्री से बात करूंगा।
मीणा ने कहा- जब मुगल आक्रांता यहां आए तो उन्होंने यह प्रथा हमारे देश में चलाई। हिंदुस्तानी मुसलमानों का डीएनए भी तो हमारा ही है। बुर्का और हिजाब हमारे देश में किसी प्रकार स्वीकार्य नहीं है। जब मुसलमान देशों में ही हिजाब-बुर्का स्वीकार्य नहीं है तो हम क्यों अपनाएं? हमारे विधायक ने यह मामला उठाया है। ड्रेस कोड पुलिस में भी होता है, स्कूलों में भी होता है। ऐसे तो कोई थानेदार कल कुर्ता-पायजामा पहनकर थाने में बैठ जाएगा। हर चीज का एक नियम होता है।
शिक्षा मंत्री को भेजी जाएगी रिपोर्ट
सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग में उच्च स्तर पर हिजाब बैन मामले में रिपोर्ट तैयार करके शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को भेजी जाएगी। बताया जा रहा है कि दिलावर ने ही इस मामले में विभाग से दूसरे राज्यों में हिजाब बैन के स्टेटस और राजस्थान में इसके प्रभावों को लेकर रिपोर्ट मांगी है। दूसरे राज्यों के पैटर्न का अध्ययन करने के बाद हिजाब बैन की संभावनाओं पर रिपोर्ट मंत्री को भेजी जाएगी। उच्च स्तर से हरी झंडी मिलने के बाद राजस्थान के स्कूलों में भी हिजाब पर पाबंदी लगाई जा सकती है।
कांग्रेस विधायक ने विधानसभा में उठाया मुद्दा
कांग्रेस विधायक रफीक खान ने गंगापोल स्कूल में बीजेपी विधायक के हिजाब पर पाबंदी होने और बच्चों को हिजाब पहनकर नहीं आने की बात का जिक्र करते हुए सवाल उठाए थे। रफीक खान के स्थगन प्रस्ताव से अलावा मुद्दा उठाने पर बीजेपी विधायकों ने आपत्ति जताई थी। इस पर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने स्थगन प्रस्ताव के विषय के अलावा बोली गई बातों को सदन की कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया था।
आचार्य बोले- हमारे भी बच्चे कल को लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे
पूरे मामले पर विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा- स्कूलों का एक ड्रेस कोड होता है। मेरे भाषण को देखा जा सकता है। मैंने स्कूल में बच्चियों को कुछ नहीं कहा। मैंने केवल स्कूल प्रिंसिपल से पूछा था कि क्या स्कूल में दो तरह का ड्रेस कोड है। जब गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम हो, वार्षिकोत्सव हो। क्या दो तरह की ड्रेस का प्रावधान है?
उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है। यह मानते ही नहीं है। मुझे स्कूल में दो तरह का माहौल नजर आया। एक हिजाब के साथ, दूसरा बिना हिजाब के। ऐसे में हमारे भी बच्चे कल को लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे, कलरफुल ड्रेस पहनकर आएंगे। जब स्कूल का ड्रेस कोड तय है, बच्चियों को इसमें आपत्ति भी नहीं है। केवल उन्हें गाइड करने की जरूरत है।
राजस्थान में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों और मदरसों का अलग-अलग ड्रेस कोड
राजस्थान में अभी सरकारी, प्राइवेट स्कूलों में अलग अलग ड्रेस कोड है। स्टूडेंट को तय यूनिफॉर्म में ही स्कूल आना होता है। कई प्राइवेट स्कूलों ने हफ्ते में दो तरह की यूनिफॉर्म तय कर रखी है। कुछ स्कूल एक दिन विदाउट यूनिफॉर्म की छूट भी देते हैं। सरकारी स्कूलों में प्रदेशभर में एक ही तरह की यूनिफॉर्म है, जिसमें हिजाब नहीं है। मदरसों में पढ़ने वाली छात्राएं हिजाब पहनकर जाती हैं। कुछ अल्पसंख्यक संस्थानों में अलग से ड्रेस कोड है। सिख स्टूडेंट को पगड़ी पहनकर आने की छूट दी जाती है।
कर्नाटक में हिजाब विवाद पर क्या हुआ…
- कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज में 31 दिसंबर 2021 को 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने पर रोक लगाने से विवाद हुआ था। विवाद बढ़ा तो फरवरी 2022 में तत्कालीन कर्नाटक सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में सभी तरह के धार्मिक पहचान वाले कपड़े पहनने पर रोक लगा दी थी।
- इसके पीछे कर्नाटक सरकार ने समानता का तर्क दिया था। कर्नाटक सरकार ने हिजाब के साथ ही सभी तरह के धार्मिक पहचान के कपड़ों पर रोक लगाई थी।
- आदेश में तर्क दिया गया था कि कोई भी कपड़ा जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को परेशान करेगा, उसे स्कूलों में पहनने की अनुमति नहीं होगी।
- दिसंबर 2023 को वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बीजेपी सरकार के हिजाब बैन के फैसले को पलट दिया। कांग्रेस सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब और बुर्का पहनने की छूट दे दी।
- कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को सही ठहराया था। हाईकोर्ट ने हिजाब बैन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि स्कूल-कॉलेजों में ड्रेस कोड सही है।
सिद्धारमैया सरकार ने हिजाब से बैन हटाने का ऐलान किया
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 22 दिसंबर को राज्य के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया।
सिद्धारमैया ने कहा था, ‘महिलाएं हिजाब पहन सकती हैं और कॉलेजों में जा सकती हैं। मैंने अधिकारियों को प्रतिबंध आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है। पोशाक और भोजन का विकल्प व्यक्तिगत है। मैं इसमें बाधा क्यों डालूं? जो चाहो, वो पहनो। जो चाहो, वो खाओ। मैं धोती पहनता हूं, आप पैंट शर्ट पहनते हो। इसमें गलत क्या है? वोट के लिए राजनीति नहीं करनी चाहिए।’