तीसरी बार ब्राजील के राष्ट्रपति होंगे लूला डा सिल्वा

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लूला डा सिल्वा ब्राजील के नए राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो को हाल ही में हुए चुनाव में हरा दिया, उनको लगभग 51% वोट मिले।

लूला डा सिल्वा ने चुनाव मैदान में भ्रष्टाचार को खत्म करने के अभियान को मुख्य मुद्दा बनाया था। उनका कहना है कि बोल्सोनारो के दौर में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है । वैसे लूला को भी भ्रष्टाचार के ही कारण राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा था। भ्रष्टाचार के आरोपों के सही साबित होने के बाद वे 580 दिन जेल में भी रहे। लूला ने पहली बार 1989 में चुनाव लड़ा था और इस बार वो 6ठी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें जीत मिली और वो तीसरी बार ये पद लेंगे, इसके पहले वो 2003 से 2010 के बीच दो बार राष्ट्रपति बने थे।

30 अक्टूबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरे राउंड की वोटिंग हुई। लूला डा सिल्वा को 50.90%, जबकि मौजूदा राष्ट्रपति बोल्सोनारो को 49.10% वोट मिले। ब्राजील के संविधान के मुताबिक, चुनाव जीतने के लिए किसी भी कैंडिडेट को कम से कम 50% वोट हासिल करने होते हैं। लूला वामपंथी वर्कर्स पार्टी के उम्मीदवार थे वो 1 जनवरी 2023 को पद संभालेंगे।

राष्ट्रपति चुनाव का फैसला आने के बाद से अब सबकी नजरें अभी के राष्ट्रपति बोल्सोनारो और उनके समर्थकों पर टिकीं हैं। बोल्सोनारो ने चुनाव के समय कहा था की अगर वो चुनाव हारे तो नतीजों को कबूल नहीं करेंगे। अब उनकी हार के बाद देश में हिंसा होने का खतरा बढ़ गया है। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी तक हथियार नहीं ले जाने के आदेशों के बावजूद कई जगह बोल्सोनारो समर्थक खुलेआम हथियारों के साथ घूम रहे थे। वो वोटरों को धमकाने में लगे हुए थे।

राजनीति से पहले लूला एक फैक्ट्री में काम किया करते थे।

लूला की सरकार के सामने तीन बड़ी चुनौतियां:

अर्थव्यवस्था- ब्राजील दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी अर्थव्यव्स्था है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां महंगाई की वजह से हालात बदतर हो गए हैं। दैनिक उपयोग की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की मार अमीरों की तुलना में गरीबों पर ज्यादा पड़ रही है, जिनकी औसत रोजाना खर्च क्षमता 1.90 डॉलर (150 रु.) से कम है। सिटीग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री एर्नेस्टो रेविल्ला ने कहा- महंगाई का यह दौर गरीबों और आय के समान बंटवारे के लिए ज्यादा हानिकारक है। इससे यह स्पष्ट है कि अब अशांति की ज्यादा आशंका है।

भुखमरी- ब्राजील में 3.30 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर हैं, जो 2004 के बाद सबसे अधिक है। इसके चलते वैश्विक स्तर पर खाद्य और ईंधन की कीमतों को कम करने का सरकार पर दबाव है।

पर्यावरण संतुलन- अमेजन जंगल का 60% हिस्सा ब्राजील में है। ये दुनिया की जलवायु का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में भी मदद करते हैं। लेकिन जंगल में आग, अवैध उत्खनन और पेड़ों की कटाई के चलते ब्राजील को 90 साल के सबसे भीषण सूखे का सामना करना पड़ा। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अब ब्राजील पेड़ों की कटाई जैसी समस्याओं से उबर सकता है। लूला हमेशा से पर्यावरण संरक्षण के पक्ष में रहे हैं।

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