मणिपुर में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। यह फैसला मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिन बाद आया है। बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा था।
कुकी समुदाय की अलग प्रशासन की मांग बरकरार
कुकी समुदाय की संस्था इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने कहा कि बीरेन सिंह ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बचने के लिए इस्तीफा दिया। ITLF के प्रवक्ता गिन्जा वूलजोंग ने कहा कि हाल ही में लीक हुए एक ऑडियो टेप के कारण सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का संज्ञान लिया था, जिससे भाजपा के लिए भी बीरेन सिंह का बचाव करना मुश्किल हो गया था।
उन्होंने कहा, “बीरेन सिंह मुख्यमंत्री रहें या न रहें, हमारी मांग अलग प्रशासन की ही रहेगी। मैतेई समुदाय ने हमें अलग-थलग कर दिया है, और अब हम पीछे नहीं हट सकते।”
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से मणिपुर जाने की अपील की
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “हिंसा और जनहानि के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीरेन सिंह को पद पर बनाए रखा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के दबाव में उन्हें आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा।”
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से तुरंत मणिपुर जाने और वहां के लोगों से बात करने की अपील की। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि वह राज्य में शांति बहाल करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।”
बीरेन सिंह ने हिंसा पर मांगी थी माफी
दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मणिपुर में हुई हिंसा और जान-माल के नुकसान पर खेद जताया था। उन्होंने कहा था, “पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं।”
उन्होंने यह भी बताया था कि मई 2023 से अक्टूबर 2023 तक राज्य में 408 गोलीबारी की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि नवंबर 2023 से अप्रैल 2024 के बीच 345 घटनाएं हुईं। हालांकि, उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से राज्य में हालात शांतिपूर्ण हैं।
लीक ऑडियो क्लिप में सीएम पर हिंसा भड़काने का आरोप
3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में ऑडियो क्लिप्स का जिक्र किया, जिसमें कथित तौर पर बीरेन सिंह को यह कहते सुना गया कि “उन्होंने मैतेई समुदाय को हिंसा के लिए उकसाया और उन्हें सुरक्षा दी।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) को निर्देश दिया और छह हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने को कहा है।