आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को दिल्ली में पंजाब के सभी विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई। बैठक कपूरथला भवन में हो रही है, जहां विधायकों की सूची के आधार पर कड़ी सुरक्षा जांच के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है।
AAP सूत्रों के मुताबिक, पार्टी विधायकों की भूमिका और अधिकार बढ़ाने पर विचार कर सकती है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब कुछ विधायकों के अन्य दलों के संपर्क में होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। पार्टी नेतृत्व का उद्देश्य विधायकों को एकजुट रखने का है।
कांग्रेस का दावा: केजरीवाल बन सकते हैं पंजाब के मुख्यमंत्री
इस बैठक को लेकर कांग्रेस ने बड़ा दावा किया है। पार्टी का कहना है कि अरविंद केजरीवाल जल्द ही पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि केजरीवाल लुधियाना वेस्ट सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं, जो AAP विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन के बाद खाली हुई है।
कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दावा किया कि पंजाब में AAP के 35 विधायक पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में भी दिल्ली की तरह शराब नीति घोटाले का खुलासा हो सकता है और राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना बन सकती है।
AAP का जवाब: यह नियमित बैठक है
AAP के प्रवक्ता नील गर्ग ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह पार्टी की नियमित बैठक है, जिसमें हाल ही में हुए दिल्ली चुनाव पर चर्चा होगी। वहीं, AAP सांसद मालविंदर कंग ने कहा कि कांग्रेस के अपने ही विधायक पार्टी से दूर जा रहे हैं, तो AAP के 30 विधायकों के संपर्क में होने की बात बेबुनियाद है।
बैठक पर विवाद क्यों?
AAP की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अमन अरोड़ा के एक बयान के बाद इस बैठक को लेकर चर्चा और तेज हो गई। उन्होंने कहा था कि पंजाब में मुख्यमंत्री पद किसी धर्म के आधार पर तय नहीं होना चाहिए, बल्कि योग्यता के आधार पर मिलना चाहिए। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इस बयान से संकेत मिलता है कि केजरीवाल खुद पंजाब की सत्ता संभाल सकते हैं।
पंजाब पर AAP का फोकस क्यों?
- दिल्ली के बाद इकलौता राज्य जहां AAP की सरकार है: पंजाब ही वह राज्य है जहां AAP ने दिल्ली के बाहर सरकार बनाई है। 2027 में वहां विधानसभा चुनाव हैं और दिल्ली नगर निगम हारने के बाद AAP के लिए यह राज्य और महत्वपूर्ण हो गया है।
- राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश: दिल्ली में सत्ता गंवाने के बाद केजरीवाल पंजाब को अपनी राजनीतिक ताकत का केंद्र बना सकते हैं।
- बड़े चुनावी वादे अब तक अधूरे: महिलाओं को ₹1,000 प्रति माह, नशा खत्म करने और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोपियों को सजा दिलाने जैसे कई वादे अभी पूरे नहीं हुए, जिससे पार्टी पर दबाव बढ़ रहा है।
AAP की यह बैठक महज संगठनात्मक चर्चा है या फिर इसके राजनीतिक मायने गहरे हैं, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।