कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार (8 जुलाई) को असम-मणिपुर का दौरा किया। उन्होंने असम के बाढ़ पीड़ितों और मणिपुर हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात की। राहुल ने मणिपुर के हालात पर राज्य की गवर्नर अनुसुइया उइके से भी मुलाकात कर अपना पत्र सौंपा।
राहुल की आधे घंटे ज्यादा समय तक गवर्नर से चर्चा हुई। इसके बाद राहुल पार्टी के कार्यालय पहुंचे और वहां प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मणिपुर के हालात पर चिंता जताई।
राहुल ने कहा कि मणिपुर में मेरा तीसरा दौरा है। मुझे लगा था कि यहां के हालात में सुधार हुआ होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। ग्राउंड लेवल पर कोई इम्प्रूवमेंट नहीं है। मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। मुझे नहीं लगता कि यहां के हालात सुधरेंगे।
राहुल ने कहा कि में रिलीफ कैंप में गया और हिंसा पीड़ित लोगों की बातें सुनीं। लोगों से मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिया है। मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि नफरत से कोई रास्ता नहीं निकलेगा। मैं राजनीतिक बात करने नहीं आया हूं। मैंने गवर्नर से बात की। उनसे कहा कि कांग्रेस जो भी कर सकती है करेगी।
राहुल ने आगे कहा कि मैं पीएम से रिक्वेस्ट करता हूं कि एक-दो दिन का समय निकालकर मणिपुर आएं। यहां जो हो रहा है उसे समझने की कोशिश करना चाहिए। पूरा देश और मणिपुर के लोग भी चाहते हैं कि वे यहां आए और लोगों की परेशानी को समझें।
राहुल का असम-मणिपुर दौरा…
- राहुल गांधी सबसे पहले सुबह 10 बजे असम के सिलचर-कछार पहुंचे थे। उन्होंने फुलेरताल के थलाई इन यूथ केयर सेंटर में राहत शिविर का दौरा किया था। यह
- दोपहर 12 बजे बजे जिरिबाम पहुंचे थे। यहां हायर सेकेंडरी स्कूल में बनाए गए राहत शिविर में मौजूद लोगों से मुलाकात की थी। उनके आने से पहले सुबह करीब 3.30 बजे जिरिबाम के टोल गांव में उपद्रवियों ने सुरक्षाबलों के कैस्पिर वैन (एंटी लैंड माइन वैन) पर फायरिंग की थी। इसमें एक फायर ब्रिगेड को भी निशाना बनाया गया था। सुरक्षाबलों ने सर्चिंग के बाद 2 लोगों को गिरफ्तार किया था।
- दोपहर 3 बजे के करीब राहुल ने इंफाल के चुराचांदपुर में मंडप तुईबोंग रिलीफ कैंप में मणिपुर हिंसा के पीड़ितों के मुलाकात की थी।
- शाम 5 बजे राहुल राजभवन पहुंचे थे। यहां उन्होंने गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की थी।
मणिपुर हिंसा के कारण 67 हजार लोग विस्थापित हुए
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।
3 मई 2023 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जो देखते ही देखते पूर्वी-पश्चिमी इंफाल, बिष्णुपुर, तेंगनुपाल और कांगपोकपी समेत अन्य जिलों में फैल गए थे। इस हिंसा में करीब 200 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जिनेवा के इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) ने मई महीन में एक रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि साल 2023 में साउथ एशिया में 69 हजार लोग विस्थापित हुए। इनमें से 97 फीसदी यानी 67 हजार लोग मणिपुर हिंसा के कारण विस्थापित हुए हैं। लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा और दूसरे लोगों के घरों के अलावा राहत शिविर में आसरा लेना पड़ा।
असम में 27 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।
राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इससे 15 लाख सक ज्यादा जानवर भी प्रभावित हुए हैं। 6 गैंडे समेत 131 जानवरों की मौत हो चुकी है। 97 जानवरों को रेस्क्यू किया गया है।