झुंझुनू : JP राजस्थान के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में 1 दिसम्बर से रथ यात्रा के साथ जन आक्रोश रैलियां शुरू करेगी। जन आक्रोश रैली और रथ यात्रा से पहले प्रदेश की गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत 26 नवम्बर से हो जाएगी। जयपुर में 26 नवंबर को प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में प्रेस वार्ता रखी गई है। 27 नवंबर को सभी जिलों में बीजेपी नेता प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस सरकार के खिलाफ हल्ला बोल करेंगे। 25 से 30 नवंबर तक सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जाएगा। 29 नवम्बर को जयपुर में प्रदेश स्तरीय रथ यात्रा की लॉन्चिंग की जाएगी। फिर 30 नवम्बर को जिलों में और 1 दिसंबर को सभी 200 विधानसभा क्षेत्र में रथयात्राएं निकलनी शुरू हो जाएंगी। 17 दिसंबर को काला दिवस मनाएंगे। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम चौपाल 1 से 10 दिसंबर तक लगाई जाएगी। 20 दिसंबर तक जनआक्रोल रैली निकाली जाएगी। प्रदेश लेवल पर प्रेस वार्ता 11 दिसंबर को होगी। इसके बाद बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम 17 दिसम्बर को गहलोत सरकार की चौथी वर्षगांठ तक जारी रहेंगे। 17 दिसम्बर को बीजेपी पूरे राजस्थान में काला दिवस मनाएगी। राजस्थान बीजेपी की झुंझुनूं में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह प्रस्तावित कार्यक्रम तैयार किया गया है। बीजेपी ने झुंझुनूं में हुई कार्यसमिति में प्रस्ताव पास कर सरकार के खिलाफ जन आंदोलन करने और 2023 में कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है।
बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कार्यसमिति की बैठक में कहा- प्रदेश की कांग्रेस सरकार के 4 साल 17 दिसम्बर को पूरे होने जा रहे हैं। सरकार जश्न मनाएगी, लेकिन जनता में गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रोश है। ये जन आक्रोश किसके खिलाफ है ? जन आक्रोश तुष्टिकरण के खिलाफ, किसान कर्जामाफी नहीं होने के खिलाफ, बेरोजगारी, अपराध में बढ़ोतरी, महिला दुष्कर्म, भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
राजनीतिक प्रस्ताव पास
बीजेपी ने एक राजनीतिक प्रस्ताव भी बैठक के दौरान पास किया है। जिसमें एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की जनकल्याण की योजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का अभिनन्दन किया गया है। दूसरी तरफ प्रदेश की कांग्रेस सरकार को हिन्दू विरोधी सरकार बताया गया है। गहलोत राज में बेलगाम अपराधी-मदहोश सरकार, 4 साल में 7 हजार निर्दोष नागरिकों की हत्या होने का आंकड़ा दिया गया है।
हिन्दुओं के धर्मांतरण की घटनाएं, दलित और किसानों की मॉब लिंचिंग में हत्याएं, भरतपुर में भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली पर अवैध खनन, संत विजयदास के आत्मदाह, दो दर्जन से ज्यादा साधुओं और पुजारियों की हत्या, जयपुर में महिला शिक्षक को जिन्दा जलाकर मार डालने, दौसा में आदिवासी महिला से रेप, छबड़ा,भीलवाड़ा, करौली, जोधपुर, चित्तौड़गढ़, नोहर ,मेवात, मालपुरा और जयपुर में समुदाय विशेष की ओर से प्लांड दंगे होने, सालासर में राम दरबाह ढहाने, अलवर में ड्रिल मशीन से शिवलिंग उखाड़ने, कठूमर ममें गौशाला पर बुलडोजर चलाने, कोटा में पीएफआई को रैली निकालने की इजाजत देकर तुष्टिकरण करने के आरोप लगाए गए हैं। पीपाड़ में बारावफात के जुलूस में सर तन से जुदा के नारे लगने और राज्य सरकार के संरक्षण में हिन्दुओं के धर्मांतरण की दर्जनों घटनाएं घटने के आरोप लगाए गए हैं। भीलवाड़ा में महिलाओं की तस्करी कर स्टाम्प पेपर पर खरीद-फरोख्त का मामला भी उठाया गया है।
राजनीतिक प्रस्ताव में बेहाल किसान और झूठ की सरकार बताई गई है। किसान का कर्ज 10 दिन में माफ करने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस पर कर्जमाफी के वादे पूरी तरह भूलने, किसानों की जमीनें नीलाम होने, दर्जनों किसानों की आत्महत्या के मुद्दे उठाए गए हैं। पिछली बीजेपी सरकार की ओर से किसानों को सालाना 10 हजार रुपए बिजली पर सब्सिडी को लम्बे समय तक रोककर रखने के भी आरोप जड़े गए हैं। बाजरा खरीद 2350 रुपए की MSP पर नहीं होने और 1400 रुपए क्विंटल पर किसान को बाजरा बेचने पर मजबूर होने का दर्द भी बयां किया गया है।
27 लाख बेरोजगार युवाओं को राहुल गांधी की ओर से 3500 रुपए बरोजगारी भत्ता देने का वादा करने लेकिन 50 हजार युवाओं को भी इसका फायदा नहीं मिल पाने, सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार 30.7 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ राजस्थान के देश में दूसरे स्थान पर होने, बिजली-पानी-स्वास्थ्य की बदहाली से जनता त्रस्त और सरकार मस्त होने, 9 बार बिजली की कीमतें अब तक बढ़ने, ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के पिछले 3 साल से भ्रष्टाचार में देश में नंबर 1 पर होने, राजस्थान के हर परिवार पर 3 लाख 37 हजार का कर्ज होने, यूजीसी को राज्य के 30 जिलों को पिछड़ा घोषित करना पड़ा, क्योंकि 476 कॉलेजों में से 386 में प्रिंसिपल ही नहीं हैं। 15 राज्यों में गौवंश में फैली लंपी बीमारी में अकेले राजस्थान में 70 फीसदी गौवंश की मौत के आरोप लगाए हैं।